खिचड़ी खाकर आरएसएस ने मनाया मकर संक्रांति पर्व

सैकड़ों लोगों ने एक साथ खाई खिचड़ी

भारतवर्ष में वर्ण व्यवस्था थी न कि जातिगत व्यवस्था

रसड़ा (बलिया)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा मकर संक्रांति का उत्सव सोमवार की रात्रि शिवम मैरिज हॉल, श्रीनाथ बाबा रोड पर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस अवसर पर सैकड़ों लोगों ने खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर प्रांत प्रमुख संजय शुक्ला ने कहा कि हिंदू समाज में कभी भी जातिवाद और छुआछूत नहीं था। जिसे भीमराव अंबेडकर ने भी माना है और यह बात उनकी पुस्तकों में भी उल्लिखित है। भारतवर्ष में वर्ण व्यवस्था थी न कि जातिगत व्यवस्था थी। उन्होंने बताया कि क्षत्राणी कुल की कन्या मीराबाई ने संत रविदास से धार्मिक शिक्षा ली थी। शुद्र कुल में पैदा हुए महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की। बताया कि यह उत्सव समाज को जोड़ने का है। यहां सब लोग एक साथ मिल बैठकर सहभोज का आनंद लेते हैं। मकर संक्रांति का उत्सव समरसता का उत्सव है और आज ही के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाता है। सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर प्रवेश करता है। ईसाई संस्कृति में 25 जनवरी को बड़ा दिन मनाया जाता है, लेकिन हमारे यहां मकर संक्रांति के दिन से ही हर्षोल्लास का वातावरण बनने लगता है और बड़े दिन का भी प्रारंभ हो जाता है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज में तमाम बुराइयां गुलामी काल की हैं। जब अंग्रेजों और मुगलों का भारतवर्ष में शासन था तो उसी समय सती प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियों समाज में फैलने शुरू हुई थी। उन्होंने 22 जनवरी को श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को हिंदू समाज का गौरव बताया। कहा कि सोया हुआ हिंदू समाज अब जागने की स्थिति में है। परम पूज्य डॉक्टर केशव राव बलिराम ने जो सपना देखा था वह अब साकार होने जा रहा है।उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे हिंदू समाज की बुराई छुआछूत और जातिवाद को जड़ से मिटा दें। तभी हिंदू समाज अपने सांस्कृतिक गौरव को प्राप्त कर सकेगा। राजनीतिक दलों ने हिंदू समाज की इन बुराइयों को अपने स्वार्थ के लिए आगे बढाने का काम किया। संचालन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर कार्यवाहक संजय सिंह ने किया।

मुख्य शिक्षक का कार्य विद्या भूषण जायसवाल, एकल गीत शिवम सोनी और प्रार्थना लाल ने कराई। इस मौके पर डॉक्टर रामबाबू सोनी, नगर संचालक श्याम कृष्ण गोयल, कन्हैया जयसवाल, विकास मौर्य, अजय ठाकुर, संदीप गुप्ता, प्रदीप गुप्ता, भीम, चंदन आदि रहे।

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