नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को वर्ण व्यवस्था पर पोस्ट के लिए असम के मुख्यमंत्री पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि देश में इस प्रकार की भाषा बोलने वाले मुख्यमंत्री को पद से हटा देना चाहिए।
खरगे ने साधा हिमंत पर निशाना
गत 28 दिसंबर को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विवादित पोस्ट कर कहा था कि ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों की सेवा करना शूद्रों का कर्त्तव्य है। हालांकि विवाद बढ़ने पर सरमा ने पोस्ट हटा लिया था।खरगे ने राज्यसभा में कहा कि मैं मुख्यमंत्री का नाम नहीं लेना चाहता हूं। वह पहले कांग्रेस में थे और अब वह भाजपा में है और पार्टी का लाड़ला है।
खरगे बोले कि भाजपा के मुख्यमत्री ने कहा था कि खेती करना, गाय पालना और व्यापार करना वैश्यों का प्राकृतिक कर्त्तव्य है और ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों की सेवा करना शूद्रों का कर्त्तव्य है। ऐसा सोचने वाला व्यक्ति कैसे गरीबो के लिए नियम बनाएगा? मैं प्रधानमंत्री से अपील कर रहा हूं कि आपने कैसे लोगों को पार्टी में रखा है और आप सामाजिक न्याय लाने का दावा कर रहे हैं। आपके लोगों की इसी मानसिकता से सभी को न्याय मिलेगा?
सत्ता में बैठे लोगों द्वारा इस प्रकार बोले जाने से मुझे दुख होता है। उन्होंने कहा कि सदन में प्रधानमंत्री के मौजूद होने के कारण यह ¨चता जताई। वह इस बारे में सोचेंगे और वह मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाकर इस प्रकार की चीजें नहीं करने को कहेंगे।