काशीराम आवास पर कलयुगी बेटे का कब्जा, नगर की गलियों में दर-दर की ठोकरे खा रही है बेवा

विद्यावतीन्याय के लिए बेवा ने उच्चाधिकारियों से की थी फरियाद, नतीजा सिफर

बाराबंकी। जिस लाडले बेटे को विद्यावती ने पाल पोसकर बड़ा किया था और यह सोचा था कि मेरा बेटे मेरे बुढ़ापे का सहारा बनेगा उसी कलयुगी बेटे के कारण विद्यावती पिछले तीन वर्षों से लगातार नगर की गलियों में पागलों की तरह घूम करके फुटपाथ पर अपनी जीवन बिता रही है। रहने के लिए सरकार की तरफ से उस बेवा महिला को काषीराम शहरी गरीब आवास योजना के तहत उसको आवास भी मिला था लेकिन उस आवास पर भी कलयुगी बेटे ने अपना कब्जा जमा रखा है। पीड़िता ने दर्जनों बार इसकी षिकायतें जिलाधिकारी से लेकर कोतवाली प्रभारी नगर से की लेकिन नतीजा शून्य रहा। झोले में पान मसाला रख करके उसको बेच करके दो वक्त की रोटी कमाने के लिए वह घूमती है अब तो उसको प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आसरा बचा हुआ है।

जानकारी के अनुसार, कोतवाली नगर के मोहल्ला दुर्गापुरी निवासिनी 67 वर्षीय बेवा विद्यावती पत्नी स्व. रामस्वरुप एक गरीब महिला है रहने के लिए उसके पास कोई आषियाना नही है। कहने को उसको एक संतान राज नाम की है। शादी के बाद जब उसकी कोख से राज पैदा हुआ था तो विद्यावती और उसके पति रामस्वरुप ने जमकर खुषिया मनायी थी। किराये के मकान में रहने वाली विद्यावती ने अपनी हैसियत से बढ़कर बेटे के पैदा होने पर लडडू तक बांटे थे धीरे धीरे राज बड़ा होने लगा बेटे की खुषी के लिए विद्यावती और उसके पति रामस्वरुप ने उसको अच्छी षिक्षा दिलाने के लिए दिन रात मेहनत की और पढ़ा लिखाकर इस काबिल बना दिया कि बुढ़ापे में दोनो लोगों का सहारा बनेगा। दस वर्ष पूर्व रामस्वरुप की मौत हो गयी उसके बाद विद्यावती अपने बेटे को लेकर किराये के मकान में रहने लगी। विद्यावती ने वर्ष 2016 में जिलाधिकारी को मान्यवर श्री काषीराम जी शहरी गरीब आवास योजना के लिए आवेदन किया था जिलाधिकारी को उस बेवा महिला पर तरस आया और सारी कानूनी प्रक्रिया जानने और समझने के बाद उसका नाम सूची में दर्ज किया और जब लाटरी खुली तो उसको काषीराम आवास ब्लाक संख्या 23 में आवास संख्या-368 मिल गया। 25 फरवरी 2019 में आवास मिलने के बाद बेवा विद्यावती अपने इकलौते बेटे राज को लेकर उसी आवास में रहने लगी। लेकिन आवास मिलने के बाद से ही राज की हरकतों से विद्यावती परेषान रहने लगी। राज ने जबरदस्ती एक दूसरे समुदाय की लड़की के साथ प्यार मोहब्बत करके उसको भी इसी आवास में रखने लगा।

जब विद्यावती को इस बात की जानकारी हुई तो उसने इसका विरोध किया कलयुगी बेटे ने उस लड़की का साथ तो नही छोड़ा उलटा अपनी मां को ही मारपीट कर घर से खदेड़ दिया। राज का कहना था कि अगर रहना है तो इस लड़की के साथ में रहना है यह जो बनायेगी उसको तुमको खाना पड़ेगा। नही तो इस घर में वापस कभी लौटकर न आना बेटे द्वारा घर से खदेड़ने के बाद विद्यावती बाराबंकी शहर की गलियों में पागलों की तरह भटक रही है। हाथ में मैला कुचैला झोला लिए उसमें पान मसाले के पाऊच रख करके बेच रही है। और किसी तरह से अपना पेट भर रही है। इस सम्बन्ध में बेवा विद्यावती का कहना था कि मैने जो सपना देखा था मेरे सारे सपने चकनाचूर हो गये। जिस बेटे को मैने बुढ़ापे की लाठी समझ करके अपना सारा जीवन उस पर कुर्बान कर दिया वही बेटा आज मेरे लिए मेरा काल बना हुआ है। विद्यावती का यह भी कहना था कि गलियों में घूमते हुए मेरा बेटा अगर मुझे देखता है मुझसे नजरे चुरा लेता है और भूले भटके अगर मैं अपने घर पहुंचती हूं तो मेरा बेटा मुझे लाठियों से पीटकर खदेड़ देता है। उसकी पिटाई से मेरा दहिना हाथ भी टूट चुका है।

पीड़िता ने इस सम्बन्ध में सिविल लाइन चौकी के अलावा कोतवाली नगर से लेकर पुलिस अधीक्षक तक लिखित और मौखिक षिकायत की है लेकिन नतीजा सिफर रहा। पीड़िता का कहना है कि मैने अपने बेटे को बेदखल भी कर दिया है मुझे मेरा आवास मेरे बेटे से खाली कराकर मुझे जिला प्रषासन दिलवाये। कम से कम मुझे सिर छिपाने के लिए एक छत तो मुहैया रहेगी। वैसे इस सम्बन्ध में पीड़िता ने परियोजना अधिकारी डूडा सौरभ त्रिपाठी से भी लिखित षिकायत की है। परियोजना अधिकारी ने आष्वासन दिया है कि जांच करवाने के बाद बेवा विद्यावती को आवास दिया जायेगा। जो इसके बेटे के कब्जे में है। कुल मिलाकर आज कल इंसान जो एक औलाद के लिए लाखो मिन्नते भगवान से करता है लेकिन उसका नतीजा क्या निकलता है इस जीता जागता उदाहरण विद्यावती को देखा जा सकता है।

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