कानपुर: किसान मेले में करीब एक लाख रुपये प्रति किलोग्राम आया मशरूम

कानपुर:- करीब एक लाख रुपये प्रति किलोग्राम मशरूम , औषधीय गुणों से भरपूर, कैंसर रोधी तत्व और न्यूरो संबंधी रोगों में इसका उपयोग बेहद कारगर। यह कोई ऐसा वैसा मशरूम नहीं है।

इसको रविवार से चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में शुरू हुए तीन दिवसीय अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सोलन (हिमाचल प्रदेश) स्थित खुंब अनुसंधान निदेशालय की ओर से लाया गया है। इसकी कीमत और खूबियों को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित है।

खुंब अनुसंधान निदेशालय के तकनीकी अधिकारी गुलेर राणा ने बताया कि एक लाख रुपये प्रति किलोग्राम कीमत के मशरूम का नाम कोर्डिसेप मशरूम है। यह हिमाचल के अलावा राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में उगाया जा रहा है। इसको उगाने का तरीका थोड़ा अलग है। इसको भूसे की जगह लकड़ी के बुरादे में उगाया जाता है। करीब 40 से 45 दिन का समय लगता है।

इसके स्पॉन अन्य मशरूम की तरह ही रहते हैं। इनका मुख्य उपयोग दवा कंपनियां न्यूट्रास्युटिकल्स (मल्टी विटामिन व ताकत की दवा) बनाने में कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश के स्थानीय लोग सुखाकर चाय की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। भोजन में नहीं खाया जा सकता है। स्वाद कड़वा रहता है। रिसर्च सेंटर में इसकी नई प्रजातियां विकसित की जा रही हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। कैंसर में ट्यूमर सेल को कम करने में सहयोग करता है।

17 हजार रुपये किलो वाला मशरूम

प्रदर्शनी में खुंब अनुसंधान निदेशालय की ओर से लगाए गए स्टॉल में 17 हजार रुपये प्रति किलोग्राम कीमत वाला गैनोडर्मा मशरूम भी रखा गया है। यह भी औषधीय गुणों से भरपूर है। निदेशालय के वैज्ञानिक डॉ. दत्तात्रेय ने बताया कि आमतौर पर पेड़ों के किनारे बारिश के मौसम में निकलने वाले मशरूम की तरह लगता है, लेकिन यह सख्त होता है। हर दिन केवल दो ग्राम तक ही लेना चाहिए।

इससे अधिक का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। दवाओं के निर्माण में उपयोग हो रहा है। स्टॉल में शिटैक मशरूम और हैरीशियम मशरूम भी रखे गए हैं। इनकी अनुमानित कीमत एक से डेढ़ लाख रुपये प्रति किलोग्राम है।

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