मथुरा। फरीदाबाद के आर्यसमाजी परिवार में जन्मी प्रिया को बपचन से ही कन्हैया से लगाव था। परिवार के विरोध के बावजूद वह अपनी ताई के साथ गोवर्धन और वृंदावन आती रहीं। 14 वर्ष की आयु में परिवार से दूर होकर पहले तो अपना करियर बनाया।
फोरेंसिक एसआइ के पद पर कार्यरत रहीं। मन न लगा तो एचआर एयर होस्टेज की जिम्मेदारी निभाई। परिवार को पहले शादी न करने के लिए मना ही रखा था। लेकिन, एक साल पहले परिवार की सहमति से ठाकुर बांकेबिहारी के स्वरूप लड्डूगोपाल के साथ विधिवत रूप से विवाह रचाया। पहला करवाचौथ पड़ा तो पूरे विधिविधान के साथ करवाचौथ का व्रत रखा।
कृष्ण के नाम का किया श्रृंगार
हाथों में ठाकुरजी के नाम की मेहंदी रचाई, बिछुआ, सोलह श्रृंगार किए और वृंदावन की पंचकोसीय परिक्रमा की तथा चंदा निकलने के बाद कन्हैया को सामने बिठाकर व्रत खोला। भगवान श्रीकृष्ण में भक्तों की आस्था ही ऐसी कि अपना सर्वस्व न्यौछावर करने में देर नहीं करते।
कंधाें पर लगे थे सितारे
अपना सबकुछ अर्पण करके उन्हें पाने की हर कोशिश उनके भक्त करते हैं। लेकिन, हरियाणा के पलवल की रहने वाली सीता जिसने न केवल परिवार की बंदिशें तोड़ीं, बल्कि नाम भी बदलकर प्रिया रख लिया। कभी उपनिरीक्षक बनने के बाद जिसके कंधों पर कभी सितारे लगे थे और फारेंसिंक टीम में अहम जिम्मेदारी थी। महिला भक्त को जब भगवान से प्रेम हुआ तो अपना सबकुछ छोड़ वृंदावन आ गई और पिछले साल लड्डूगोपाल से शादी कर ली। अब करवाचौथ पर निर्जला व्रत रखा और ठाकुरजी को सामने बिठाकर ही व्रत खोला।
छुपकर आती थीं गोवर्धन और वृंदावन
प्रिया बताती हैं कृष्ण ही मेरे पति हैं। प्रिया ने बताया जब वह 6 वर्ष की थी तब छुपकर ताई के साथ गोवर्धन और वृंदावन आ जाती थीं। जबकि परिवार कट्टर आर्यसमाजी व मूर्ति पूजा का विरोधी था। घर वापस लौटने पर पिटाई भी होती थी। लेकिन, भगवान से उनकी चाहत बढ़ने लगी और उम्र बढ़ने के साथ साथ उनसे प्यार हो गया।
14 वर्ष पहले भगवान के लिए घर छोड़ा। लेकिन, बिना परिवार की सहमति के शादी न करने का मन बना लिया। 14 वर्ष बाद जब मां से कहा क्या वह अपनी बेटी का कन्या दान नहीं करेंगी तो मां ने सहमति दे दी और 29 नवंबर 2022 को कर डाली अपने प्रिय प्रियकांत उर्फ पीहू से शादी
चंडीगढ़ पुलिस में प्रिया रहीं सब इंस्पेक्टर
प्रिया ने बताया कि उन्होंने एमबीए, पीएचडी करने के साथ बालीवाल की खिलाड़ी रहीं और यूनिवर्सिटी टाप किया था। स्पोर्ट्स कोटा में चंडीगढ़ फोरेंसिक में एसआई पर चयन हुआ। कुछ दिन नौकरी की। मन गोपालजी की तरफ लगने लगा और नौकरी छोड़ दी। इसके बाद इंडिगो एयर में एचआर एयर होस्टेज बनी। यहां भी वही हाल रहा और फिर सब कुछ छोड़कर चली आईं वृंदावन।