कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा -आचार्य राधा मोहन

सीतापुर। लहरपुर क्षेत्र के ग्राम धौरहरा में चल रही श्री शतचंडी महायज्ञ एवं विराट संत सम्मेलन व रासलीला में वृंदावन धाम से आए कलाकारों ने शिव विवाह व शिव तांडव की सुंदर लीलाओं को नृत्य के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं ने भगवान के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन किए इस मौके पर कलाकारों ने भगवान के विभिन्न स्वरूपों की संजीव झांकियो का प्रदर्शन किया यज्ञाचार्य राधा मोहन अवस्थी ने कथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया की जो कम सुख में ब्रह्म सुख की अनुभूति कर दे वह कथा है कथा श्रवण मात्र करने से जीव के जन्म जन्मांतर के पाप एक पल में नष्ट हो जाते हैं अगर जीव भक्ति भाव से सत्संग श्रवण करें तो भक्ति के साथ-साथ उनके पुत्र ज्ञान और वैराग्य दोनों की प्राप्ति हो जाती है और कलयुग में तो केवल अगर महिमा किसी की गई जाती है तो वह एकमात्र कीर्तन कि कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा अर्थात केवल भगवान नाम का सुमिरन से ही जीव इस संसार रूपी सरोवर से पार हो जाता है इस मौके पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की कथा व्यास पंडित अखिलेश महाराज ने कथा की अमृत वर्षा करते हुए सती अनसूया की कथा का उपस्थित श्रद्धालुओं को रसपान कराया कथा व्यास ने बताया की कार्यक्रम 14 जून को विशाल भंडारे के साथ समापन होगा इस अवसर पर वैदिक आचार्य, शिवराम मिश्रा,सुरनायक बाजपेई, पंडित संदीप पाण्डेय, पंडित श्याम शुक्ला, चंद्रशेखर दीक्षित व मुख्य यजमान सूर्यप्रसाद , आशाराम, उमेश कुमार, शैलेंद्र, व पत्रकार अंकित दीक्षित सही भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे ।

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