ब्रह्मलीन बाबा प्रेमदास कुटी पर मानस सम्मेलन के विश्राम दिवस पर आचार्य परमानंद मिश्रा, रामकिंकर जी ,सीताकांत सहित अन्य ने रखें विचार
हैदरगढ़ बाराबंकी। महारानी कैकेई ने श्री रामचंद्र जी को वनवास भेज कर कलंक तो जरुर लिया। लेकिन उन्होंने जीव जगत का कल्याण कर कर राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान बना दिया। उक्त बात अयोध्या धाम से पधारे मानस मर्मज्ञ संत दीनबंधु जी महाराज ने ब्रह्मलीन बाबा प्रेम दास जी की कुटी पर मानस सम्मेलन के विश्राम दिवस पर बोलते हुए कही।
दीनबंधु जी महाराज ने बताया कि भले ही लोग महारानी कैकई को अनेकों उद्बोधन से सुशोभित करते हो। लेकिन उन्होंने जगत के कल्याण के लिए श्री राम जी को वन गमन का आदेश दिया ।राजा दशरथ से मांगे गए वरदान में कहीं न कहीं शिक्षा संस्कार एवं सेवा परोपकार को स्थापित करने की एक बड़ी योजना थी। वास्तव में माता कैकेई ने कलंक लेकर के राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान बना दिया।
अयोध्या धाम से पधारे आचार्य परमानंद मिश्रा ने कहा कि विश्वामित्र का अयोध्या आगमन हमेशा उद्देश्य से ही रहा। उनसे जुड़े राजा हरिश्चंद्र एवं भगवान राम तथा दशरथ के प्रसंग वास्तव में धर्म की स्थापना के एक बड़े प्रयास थे ।विश्वामित्र की वजह से ही राजा हरिश्चंद्र महादानी कहलाए। तो वही राम जी ने संतों की रक्षा के लिए निशाचरो का संघार किया।
सूरतगंज से पधारे रामकिंकर जी महाराज ने कहा श्री रामचरितमानस महा ग्रंथ है। जिससे हमें संस्कार, परोपकार सेवा एवं जीवन कैसे जिया जाए इसकी शिक्षा मिलती है। उन्होंने बताया कि यदि श्री रामचरितमानस में बताए गए संस्कारों को व्यक्ति आत्मसात कर ले तो सभी का जीवन सुखद हो जाएगा। इस दौरान अन्य के विद्वानों ने भी अपने विचार मानस सम्मेलन में रखें। इस मौके पर महंत लालता दास जी महाराज का सभी भक्तजन आशीर्वाद लेते नजर आए।
मानस सम्मेलन की विश्राम दिवस के दिन आज प्रमुख रूप से बाबा राम तीरथ दास जी महाराज, पंडित सिद्धनाथ त्रिपाठी, कैलाश शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया, डॉक्टर राधेश्याम मौर्य, सौरभ मिश्रा,रामू मिश्रा, गिरिजा शर्मा , राम तीरथ दीक्षित ,आशीष कुमार, ओमप्रकाश मौर्य ,गुड्डू, अमरजीत सिंह, राम गणेश अवस्थी ,रामकुमार मिश्र , बीनू सिंह ,शुभम वैश्य, राजेश कुमार रोहित मिश्रा, जितेन्द्र कुमार सन्तोष गुप्ता सहित सैकड़ों भक्तजन उपस्थित थे।