जो आनंद सिधु सुख राशिसीकर तें त्रेलोक सुपासीसो सुखधाम राम अस नामाअखिल लोक दायक विश्रामा

पावन धाम अयोध्या में राम लला में प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में मोहन पट्टी रिसौली में पवित्र पुरुषोत्तम माघ मास में नौ दिन तक चलने वाले श्री राम कथा महोत्सव

बदायूं । आज पांचवे दिन सामाजिक संत रवि जी समदर्शी महाराज ने राम जन्म के बाद की कथा सुनाते हुए भक्तों को भावविभोर कर दिया
भगवान शंकर पार्वती को कथा सुनाते हुए कहते हैं देवी मैंने एक चोरी की जैसे ही पार्वती ने सुना चौक गई बाबा आपने और चोरी हां देवी हमने तुमसे कुछ छुपाया है मुझसे छुपाया भला कोई अपनी पत्नी से छुपाता है ऐसी कौन सी बात थी जो मुझसे छुपाई बाबा कहते हैं बड़े आनंद की बात है,हम और का काग भुसुंडी दोनों मनुष्य रूप में अयोध्या गए पता है क्यों गए इसलिए गए कि हमारे गुरु हमारे प्रभु का जन्म हुआ है अयोध्या में और हम दोनों गुरु चेला मानुष्य बन कर गए,अवध में ज्योतिषी आयो बूडो ब्राह्मण शंकर नाम कहायो,अवध में ज्योतिषी आयो देवी जब महल के द्वार पर पहुंचे अपरिचित जानकर हमें द्वारपालों ने अंदर प्रवेश नहीं करने दिया मन दुखी हुआ सरयू किनारे आ गए सुमिरन करते रहे भगवान से प्रार्थना करते रहे प्रभु दर्शन दो दर्शन दो, कई दिन बीत गए सब प्रयास किए पर दर्शन नहीं हुए तब हमने अंतर्मन से भगवान से कहा प्रभु अगर आपने हमें दर्शन नहीं दिए तो हम इसी सरयू में अपने शरीर को प्रवाहित कर देंगे तब भगवान ने लीला रची खूब रोए,वशिष्ट जी भी आए कोई चुप नही करा पाया तब मां कौशल्या ने अपनी दासियों को सरयू किनारे भेजा ताकि कोई बालक को ठीक करने वाला ज्योतिषी सन्यासी जत्ती मिल जाए,दासियों ने हमसे पूछा बाबा आप कुछ जानते हो, हमने कहा हमारा तो यही काम है,हम तो उनके साथ दौड़े चले गए महल में हमें भी बुला ले गई और हम दोनों गुरु चेला ने उन के दर्शन की धन्य धन्य हो गए भगवान के चरणों में माथा रखकर आनंद आ गया जी देवी
ऐसा भगवान और भक्तों के प्रेमा अतीत भाव को देखकर सुनकर भक्त बहुत लाभान्वित होंगे काग भूषुण्डी जी वही रह गए,
गोस्वामी जी कथा को आगे बढ़ाते, चारो बालकों का नामकरण करते हुए कहते हैं जो आनंद के महासागर है जिनका नाम लेकर भक्त सुख प्राप्त करेंगे राजन ऐसे आपके सबसे बड़े पुत्र का नाम-राम रखता हूं जो सुख के धाम है,
आपके दूसरे पुत्र का नाम जो सारे जगत को तृप्त करेगा सारे संसार का भरन पोषण करते हैं त्याग के प्रतीक ऐसे दूसरे बड़े पुत्र का नाम भरत रखता हूं,और राजन आपके सबसे छोट पुत्र का नाम लेने मात्र से अंदर के राक्षसों का नाश होगा और बाहरी राक्षस का बह खुद नाश करते हैं अतः मैं आपकी सबसे छोटे पुत्र का नाम शत्रुघ्न रखता हूं,
आपकी सबसे छोटी से बडे बेटा अति विशिष्ट होगा जिसके गुण लक्षण ही नाम रूप में दिखेगे जो सारे जगत का आधार हे ऐसे इस पुत्र का नाम लक्ष्मण रखता हूं चारों बालकों का नामकरण हुआ माताओं की गोद में चारों बालक धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष की तरह नर रूप में सुशोभित हो रहे हैं l
भगवान के दर्शन करने के लिए जब तक संत ऋषि भक्त महल के दरवाजे पर आ जाते हैं भिक्षा मांगने आते हैं, और कहते हैं भिक्षा नहीं चाहिए मुझे भिक्षा में बदले आपके लाला के दर्शन चाहिए महल के अंदर झाक कर रोते हैं कहते हैं काश हमें भगवान ने इस महल के पत्थर ही बना दिया होता ताकि हम लाला के हाथों के पैरों के स्पर्श का सुख भोग सकते,हम दुर्भाग्यशाली है, मां दर्शन करा देती है तो प्रसन्न होकर जाते हैं मां बार-बार भगवान की बलईया लेती है मां ताकि मेरे बेटे को नजर न लग जाए
आज मां ने‌ राघव को सुंदर सजाया कानों में छोटे से सुंदर कुंडल गले में फूलों का हार वैजंती माला, भाल पर गोरोचन का तिलक लगाया भगवान खेलने चले जाते हैं जब राजा खाना खाने बैठते हैं भगवान को बुलाते हैं,भगवान नहीं आते, सुमंत को भेजते हैं,भगवान नहीं आते,अंत में मां बुला ती है तब भी भगवान नहीं आते‌ मां ने अपना लेहगा ऊपर किया पर भगवान के पीछे सब कुछ छोड़कर दौड़ पड़ी,प्रभु दौड़े चले,भगवान सोचते हैं मेरी मां को कहीं थक ना जाए,परेशान ना हो इसलिए जमीन पर गिर जाते हैं मां दौड़कर उठाती है गले से लगा लेती है सबकुछ छोड़ा प्रॉपर्टी संपत्ति छोड़ी परिवार छोड़ा पति तक छोड़ दिया तब जाकर भगवान मिले भगवान कहते हैं कि केवल मेरा लिए गिरा है मैं तेरा हूं तेरा ही रहूंगा l
भगवान ने जन्म से और बैकुंठ जाने तक तक अंहकारियों का अहंकार मिटाया,लेकिन दबे कुचले गरीब निर्बल सभी का छोटापन ,मिटाकर उन्हें ऊंचा उठाया ह्रदय से लगाया प्रेम लुटाया पर क्योंकि भगवान प्रेम के भूखे हैं, वशिष्ठ जी के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करते हैं,विस्वामित्र के साथ जाकर राछसों को मारकर यज्ञ पूरा करते हैं,अहिल्या उद्धार कर धनुष यज्ञ के लिए जनकपुरी में प्रवेश करते हैं

आज की कथा में सौरभ राजावत, विपिन सिंह,सोनू शर्मा,गंगा सिंह,विपिन सिंह,योगेश बजाज,भानू चौहान,सतीश कश्यप,अवधेश महेश्वरी, विकास,अवधेश पाली, धर्मेन्द्र सक्सेना राजेश पाली,धर्मेंद्र महेश्वरी,दिनेश पाली,रिंकू चौहान,राजू चौहान,दुष्यंत सोलंकी,राजेंद्र शर्मा,राजेश सिंह,अतुल सोलंकी ,सुनील सोलंकी,सुनील सिंह, राजीव राणा,नितिन शर्मा,संजीव सिंह,
उत्पल,दीपेश,विजय संखधार आदि सैकड़ों राम भक्त उपस्थित रहे सब ने आरती पूजन कर प्रसाद पाया l

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