जयराम रमेश बिना नाम लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों पर लगाया धोखा देने का आरोप …

जय-वीरू और गब्बर के बाद अब मध्यप्रदेश चुनाव में सांप और कौवे की एंट्री हुई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता व राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी, लेकिन धोखा किया गया। सभी सांप-कौवे पार्टी से बाहर चले गए और अब फिर से बहुमत की कांग्रेस सरकार बनेगी। बतों कि 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायकों के पार्टी छोड़ देने से कांग्रेस सरकार गिर गई थी।

कांग्रेस नेता जयराम ने सोमवार को जबलपुर में पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। पीएम मोदी दो घोड़ों पर सवार हैं पहला ईडी और दूसरा सीबीआई। बेमतलब और बिना कारण कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ईडी और सीबीआई के जरिए परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे का जो वीडियो सामने आया है उसकी भी जांच कराना चाहिए।

वीडियो में दिख रहा है कि कई करोड़ रुपए का व्यापार हो रहा है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव है इसमें मुख्य मुद्दे स्थानीय हैं, लेकिन मोदी सरकार की नीतियों के कारण लोग महंगाई जैसे मुद्दों से परेशान हैं। सरकारी संपत्ति बेची जा रही हैं, आदिवासियों के वन अधिकार पट्टे निरस्त किए जा रहे हैं। पीएम मोदी प्रतिशोध की राजनीति कर रहे हैं। इस चुनाव में भाजपा घबराई हुई है, इसलिए केंद्रीय मंत्रियों से लेकर सांसदों को मैदान में उतारा गया है।

गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कांग्रेस के विरोध में दिए गए बयान को लेकर जयराम ने कहा कि महागठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए है ना कि विधानसभा के लिए। विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद एक बार फिर से महागठबंधन के सभी वरिष्ठ नेता बैठक करेंगे। भाजपा के खिलाफ चुनाव लडऩे की रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि केरल में हम सीपीएम के खिलाफ चुनाव लड़ते रहे हैं, और वह भी हमारे महागठबंधन के हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव हम अलग-अलग लड़ेंगे लेकिन जब लोकसभा चुनाव होंगे तो हम सभी साथ में रहेंगे।

भारत यात्रा बानी परिवर्तन का कारण
ठीक एक साल पहले 4 हजार किलोमीटर राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा की। 380 किलोमीटर की यात्रा 13 दिन मप्र में थी, जो हमारी राजनीति के लिए परिवर्तन का कारण बनी। कर्नाटक में इसके परिणाम मिले। संगठन एकजुट हुआ। यहां के विधानसभा चुनाव में भी इसका परिणाम दिखेगा। भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य आर्थिक विषमता पर लोगों को जागरूक करना, सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक तानाशाही से लोगों को अवगत कराना था।

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