इस्राइल के तकनीक उद्योग को झेलना पड़ सकता है मुश्किल

यरूशलेम। इस्राइल के तकनीक उद्योग को बुरे दौर का सामना करना पड़ सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि इस्राइल में काम कर रही कंपनियों के लिए अपनी सुरक्षा मजबूत करना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि जिस तरह से हमास के आतंकियों ने सैनिकों और आम लोगों को घरों में घुसकर मारा है, उससे सभी के मन में सुरक्षा चिंताएं चरम पर हैं।

तकनीक उद्योग इस्राइल में सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र रहा है, जो यहां करीब 14 फीसदी नौकरियों और सकल घरेलू उत्पाद का लगभग पांचवां हिस्सा रखता है। हमले के बाद इस्राइली स्टॉक व बांड की कीमतों में भारी गिरावट आई है। क्रेसेट वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य निवेश अधिकारी जैक एबलिन कहते हैं कि यह व्यवसाय के लिए एक बड़ा व्यवधान है। अगर संघर्ष बढ़ता है, तो तकनीकी कंपनियों पर बुरा असर पड़ सकता है, क्योंकि कर्मचारियों को सैन्य रिजर्व के रूप में बुलाया जा सकता है।

फलस्तीन को अरब देशों का समर्थन, सऊदी नहीं करेगा वार्ता
युद्ध शुरू होने के साथ ही सऊदी अरब ने अमेरिकी विदेश मंत्री को साफ कर दिया है कि इस्राइल से सामान्य संबंध रखने के लिए वह अब वार्ता नहीं करेगा। इसके पीछे अरब देशों में फलस्तीन को लेकर इस्राइल के खिलाफ बढ़ रहे गुस्से को कारण माना जा रहा है। हमास के आतंकी हमले के बाद यह विरोध मुखर हुआ है।

बहरीन में लोगों ने रैलियां निकाली
साल 2020 में यूएई, बहरीन और मोरक्को ने इस्राइल के साथ संबंध बनाने की घोषणा की थी, वहां भी बड़ी आबादी इसके खिलाफ है। हमास के हमले के बाद बहरीन में लोगों ने रैलियां निकाली। इनमें शामिल 70 साल के मजद अब्दुल्ला हसन ने कहा कि उनके देश में फलस्तीन को लेकर इतना बड़ा आयोजन पहली बार हो रहा है। वे और उनके जैसे लोग हमास के आतंकी हमले को सही मानते हैं। मोरक्को, यमन, तुर्की, टुनिशिया, कुवैत में भी फलस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन हुए। लेबनान में हिजबुल्ला की मुख्य परिषद के प्रमुख हाशम सफीद्दीन ने कहा कि सशस्त्र प्रतिरोध का समय शुरू हो चुका है।

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