गंगासागर। गंगासागर में घने कोहरे के कारण स्टीमरों के भटकने की घटनाएं रोकने के लिए इस बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित अत्याधुनिक ‘नेवआइसी टेक्नोलाजी’ का प्रयोग किया जा रहा है। इसके तहत सात सैटलाइटों व ग्राउंड स्टेशनों के नेटवर्क के साथ मूड़ी गंगा में चलने वाले सभी स्टीमरों का नेविगेशन किया गया है।
इससे स्टीमरों की बिलकुल सटीक वर्तमान भौगोलिक स्थिति का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। उनके अपने निर्धारित नदी मार्ग से भटक जाने पर गंगासागर में खोले गए मेगा कंट्रोल रूम में स्वचालित तरीके से अलार्म बजने लगेगा, जिससे जल्द से जल्द उनका उद्धार संभव होगा। पिछले साल गंगासागर मेले के समय घने कोहरे के कारण तीर्थयात्रियों से भरे कई स्टीमरों के भटक जाने की घटना से सीख लेते हुए यह कदम उठाया गया है।
कैसे काम करेगा ये डिवाइस
स्टीमर के केबिन में चालक की सीट के पास एक छोटा सा डिवाइस लगाया गया है। चालक को इस डिवाइस के बारे में प्रशिक्षित किया गया है। गंगासागर मेले के आयोजन से जुड़े दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया-‘मकर संक्रांति के समय देश-दुनिया से लाखों की संख्या में तीर्थयात्री गंगासागर आते हैं। गंगासागर आने के लिए विशाल मूड़ी गंगा नदी पार करनी पड़ती है। वर्ष के इस समय गंगासागर घने कोहरे की चादर में लिपटा रहता है, जिससे प्रातः काल व रात के समय स्टीमर चलाने में काफी परेशानी होती है।
कई बार सेवा बंद करनी पड़ जाती है, जिससे तीर्थयात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। इस तीर्थ स्थल के चारों ओर से पानी से घिरे द्वीप पर स्थित होने के कारण यहां इंटरनेट नेटवर्क की भी भारी समस्या है। अच्छा से अच्छा जीपीएस भी यहां फेल हो जाता है इसलिए इस बार इसरो द्वारा विकसित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है।’
30 से अधिक स्टीमरों में लगाए गए डिवाइस
पता चला है कि गंगासागर मेले के आयोजन से पहले इसरो की एक टीम यहां आई थी। उन्हीं के निर्देशन में 30 से अधिक स्टीमरों में ये डिवाइस लगाए गए हैं। घने कोहरे से निपटने के लिए इस बार विदेश से मंगवाए गए विशेष फाग लाइट का भी प्रयोग किया जा रहा है, जिन्हें स्टीमरों के सामने के हिस्से, जेटियों व नदी मार्ग में स्थित टावरों में लगाया गया है। इससे स्टीमर चालक घने कोहरे में भी काफी दूर तक आसानी से देख पा रहे हैं।