धुलैडी पर वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। वर्ष 1924 के बाद लगभग 100 वर्ष उपरांत होली पर प्रातः 10:23 मिनट से दोपहर 03:02 मिनट तक लगभग चार घंटे का उपच्छाया चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा। परंतु भारत में प्रभावहीन होने की वजह से इसके सूतक भी मान्य नहीं रहेंगे।
लगभग 100 वर्ष बाद होली पर प्रातः 10:23 मिनट से दोपहर 03:02 मिनट तक लगभग चार घंटे का उपच्छाया चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा। इसे लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित राहुल भारद्वाज ने इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला।
ज्योतिषाचार्य पंडित राहुल भारद्वाज ने बताया कि फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाएगा। अगले दिन रंगों वाली होली धुलैडी खेली जाएगी। इस बार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च प्रातः 09:55 मिनट से आरंभ होकर 25 मार्च को दोपहर 12:29 मिनट तक रहेगी।
उन्होंने बताया कि इस बार भी होलिका दहन के दिन रविवार को चतुर्दशी तिथि समाप्त होते ही पूर्णिमा के साथ भद्रा का साया प्रातः 09:55 मिनट से प्रारंभ हो रहा है, जो कि रात्रि 11:12 मिनट तक रहेगा। भद्राकाल को शुभ नहीं माना जाता है और इस दौरान किसी भी तरह का पूजा-पाठ व शुभ काम करना वर्जित होता है। भद्राकाल की समाप्ति के बाद ही होलिका दहन किया जा सकता है। होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शास्त्रानुसार रात्रि 11:12 मिनट पर होगा। लोकाचार के अनुसार 11:12 से लेकर सोमवार की प्रातः सूर्योदय से पूर्व तक होलिका दहन कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इस बार धुलैडी पर वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। वर्ष 1924 के बाद लगभग 100 वर्ष उपरांत होली पर प्रातः 10:23 मिनट से दोपहर 03:02 मिनट तक लगभग चार घंटे का उपच्छाया चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा। परंतु भारत में प्रभावहीन होने की वजह से इसके सूतक भी मान्य नहीं रहेंगे।