अंतरराष्ट्रीय हकलाहट जागरूकता दिवस इतिहास, महत्व व थीम….

नई दिल्ली लोगों को हकलाहट के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 22 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय हकलाना जागरूकता दिवस (इंटरनेशनल स्टमरिंग अवरनेस डे) मनाया जाता है। दुनियाभर में 1.5% लोग हकलाहट का शिकार हैं। इस समस्या के चलते लोगों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। जिसके चलते लोग कई तरह की मानसिक परेशानियों का भी शिकार हो सकते हैं। इसी चैलेंज को देखते हुए इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी जिससे लोगों को अवेयर किया जा सके और हकलाहट की समस्या से जूझ रहे लोगों की मदद की जा सके

अंतरराष्ट्रीय हकलाहट जागरूकता दिवस इतिहास
अंतरराष्ट्रीय हकलाहट जागरूकता दिवस सबसे पहली बार 1998 में मनाया गया था। दरअसल लोग हकलाहट की समस्या से परेशान लोगों को और ज्यादा परेशान करते थे, तो इसे एक सीरियस सामाजिक चिंता का मुद्दा मानते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने का फैसला लिया गया। अंतरराष्ट्रीय स्टटरिंग एसोसिएशन
, इंटरनेशनल फलूएन्सी एसोसिएशन
यूरोपियन लीग ऑफ़ स्टटरिंग एसोसिएशन के तत्वाधान में शुरू किया गया अभियान है।

अंतरराष्ट्रीय हकलाहट जागरूकता दिवस का महत्व
इस दिन को मनाने का उद्देश्य हकलाहट के प्रति लोगों को जागरूक और शिक्षित करना है। कई बार लोग बिना सोचे ऐसे व्यक्ति को परेशान करते रहते हैं कि इससे उनके दिमाग पर किस तरह का असर पड़ सकता है। हकलाहट से ग्रसित लोगों का कॉन्फिडेंस और ज्यादा गिर जाता है। ऐसे लोगों को हकलाहट दूर करने के अवेलेबल तरीकों के बारे में बताया जाता है, जो काफी हद तक कारगर हो सकती हैं इसे दूर करने में। इस दिन दुनियाभर में कई तरह के आयोजन भी किए जाते हैं और लोगों से ऐसे लोगों को कैसे सपोर्ट करें, इसके बारे में बताया जाता है।

थीम
हर साल इस दिन को एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस बार इसकी थीम है- ‘One Size Does Not Fit All’

Related Articles

Back to top button