हमीरपुर : दो दशक पुराने बलवा और मारपीट के मामले में बीते 31 अक्टूबर को कोर्ट से साढ़े तीन साल की सजा पाए एक कैदी की सोमवार की शाम जिला कारागार में हालत बिगड़ गई। आनन-फानन में उसे जिला अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है। मृतक कैदी के परिजनों को सूचना दी जा रही है।
राठ कोतवाली के इकटौर और मझगवां थानाक्षेत्र के बरेल गांव के ग्रामीणों के बीच दो दशक पूर्व मौन चराने को लेकर संघर्ष हुआ था। इस मामले में इकटौर के वंशगोपाल के पक्ष के अशोक की मौत हो गई थी। जबकि बरेल गांव के विजय बहादुर के पक्ष के लोग घायल हुए थे। दोनों पक्षों की ओर से 13-13 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसमें वंशगोपाल के पक्ष से एक व्यक्ति की मौत होने पर दूसरे पक्ष पर गैरइरादतन हत्या, मारपीट और बलवे की धाराएं लगी थी। जबकि विजय बहादुर की तहरीर पर मारपीट का मामला लिखा गया था। डकैती कोर्ट ने बीती 31 अक्टूबर को इस मामले में वंशगोपाल के पक्ष के 13 लोगों को साढ़े तीन साल और विजय बहादुर के पक्ष के लोगों को पांच साल की सजा सुनाई थी। वंशगोपाल के पक्ष का रामहेत भी सजायाफ्ता लोगों में था। जो उसी दिन से जेल में निरुद्ध है।
सोमवार को रामहेत की जेल के अंदर ही हालत बिगड़ गई। जिसके बाद उसे कुछ दूर तक जेल के अस्पताल में रखा गया, लेकिन हालत में कोई सुधार न होने पर आनन-फानन में जिला अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान रामहेत की मौत हो गई। जेलर केपी चंदीला ने बताया कि अचानक कैदी रामहेत को सीने में दर्द की शिकायत हुई थी। जिसे जेल से अभिरक्षा में जिला अस्पताल भेजा गया था, जहां इलाज के दौरान इसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है। बंदी के परिजनों को सूचना दे दी गई है।