नई दिल्ली । जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए राजधानी दिल्ली में दुनिया के ताकतवर राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी के बीच चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान गरजेंगे। भारतीय वायु सेना दोनों सीमाओं पर एक साथ ‘त्रिशूल’ नाम से प्रशिक्षण अभ्यास करेगी। 4 से 14 सितंबर तक यह अभ्यास लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब सहित उत्तरी क्षेत्र में होगा।
भारतीय वायु सेना ने 9 और 10 सितंबर को होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए अपने हथियारों और उपकरणों को हाई अलर्ट पर रखा है। वायु सेना इस समय राजधानी दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान हवाई सुरक्षा के मद्देनजर अभ्यास कर रही है। खासकर विदेशी मेहमानों को ठहराए जाने वाले होटलों और कार्यक्रम स्थल प्रगति मैदान के आसपास मॉक ड्रिल की जा रही है। जनपथ रोड स्थित होटल ली-मेरिडियन की छत पर वायु सेना ने अपने एमआई-17 हेलीकॉप्टर को उतारने का अभ्यास किया है, ताकि जरूरत पड़ने पर किसी भी ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सके।
शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दुनिया के 20 ताकतवर देशों के राष्ट्राध्यक्षों के अलावा तमाम वैश्विक नेता दिल्ली आ रहे हैं।भारतीय वायु सेना ने भी किसी भी संभावित हवाई खतरे से निपटने के लिए आकाश डिफेंस मिसाइल समेत अपनी सतह से हवा में मार करने वाली डिफेंस प्रणालियों को सक्रिय एक्टिव करना शुरू कर दिया है। सुरक्षा एजेंसियों ने अपने काउंटर-ड्रोन सिस्टम को भी सक्रिय कर दिया है, जहां वे किसी भी छोटे ड्रोन को जाम कर सकते हैं या जरूरत पड़ने पर उन्हें मार गिरा सकते हैं। वायु सेना ने अपने लड़ाकू विमानों को भी ‘फ्लाइंग मोड’ में रखने के निर्देश जारी किया है।
जी-20 शिखर सम्मेलन के बीच वायु सेना ने चीन और पाकिस्तान सीमाओं के साथ उत्तरी क्षेत्र में ‘त्रिशूल’ नाम से प्रशिक्षण अभ्यास करने की योजना बनाई है। इसमें राफेल, मिराज-2000 और सुखोई-30 सहित लड़ाकू विमानों के सभी प्रमुख बेड़े हिस्सा लेंगे। इसके अलावा परिवहन हेलिकॉप्टर चिनूक और अपाचे सहित भारी लिफ्ट परिवहन विमान सी-17 अभ्यास में भाग लेंगे। इस अभ्यास में भारतीय वायु सेना के हवाई रिफ्यूलर, एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट शामिल होंगे।