भारत चांद पर बड़ी उपलब्धि हासिल करने की दहलीज पर खड़ा

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने भारत के चंद्रमा मिशन को अब तक सफल बताते हुए कहा है कि चंद्रयान-3 की सभी प्रणालियां अब तक पूरी तरह से काम कर रही हैं और 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार लगभग 18:04 बजे चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। बुधवार को लैंडिंग के समय किसी भी आकस्मिकता की आशंका नहीं है

डॉ. सोमनाथ ने सोमवार को चंद्रयान-3 की लैंडिंग की तैयारियों और मौजूदा स्थिति के बारे में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह को आधिकारिक जानकारी दी। इसरो के अध्यक्ष ने मंत्री को बताया कि चंद्रयान-3 की सभी प्रणालियां पूरी तरह से काम कर रही हैं और 23 अगस्त को लगभग 18:04 बजे चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। बुधवार को लैंडिंग के समय किसी भी आकस्मिकता की आशंका नहीं है। अगले दो दिनों में चंद्रयान-3 की स्थिति पर लगातार नजर रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि लैंडिंग का अंतिम क्रम दो दिन पहले लोड किया जाएगा।

इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 मिशन केवल आंशिक रूप से असफल रहा था, क्योंकि हार्ड लैंडिंग के बाद लैंडर का संपर्क टूट गया था। सोमवार को इसरो ने ट्वीट करके बताया कि चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का चार साल से परिक्रमा कर रहे चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के बीच दो-तरफा सफलतापूर्वक संचार स्थापित हुआ है। इससे पहले आज इसरो ने चंद्रयान-3 से ली गई चंद्र सुदूर क्षेत्र की नई छवियां साझा कीं।

इसरो अध्यक्ष से आधिकारिक जानकारी मिलने के बाद डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बार चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग का भरोसा जताया और उम्मीद जताई कि इस बार ग्रहों की खोज का एक नया इतिहास लिखा जायेगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि चंद्रयान की श्रृंखला में चंद्रयान-1 को चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति की खोज करने का श्रेय दिया जाता है, जो दुनिया और प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक नया रहस्योद्घाटन था। संयुक्त राज्य अमेरिका का नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) इस खोज से प्रभावित हुआ और अपने आगे के प्रयोगों के लिए इनपुट का उपयोग किया।

चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन के माध्यम से लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-3 मिशन सफल होने पर संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा, लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत दुनिया का एकमात्र देश होगा।

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