अहमदाबाद। भारतीय कप्तान रोहित शर्मा अपनी विरासत खड़ी करने के लिए तैयार हैं और रविवार को यहां ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले विश्व कप फाइनल में वह करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों की प्रार्थनाओं के बीच अपने 10 साथियों के साथ पांच बार के विश्व चैंपियन के खिलाफ इतिहास रचने उतरेंगे। विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय विश्व कप का खिताब जीतने के अहसास से अच्छी तरह वाकिफ हैं और रोहित शर्मा भी 2007 में पहला टी20 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं।
रविवार को होने वाला फाइनल पूरी तरह से अलग होगा। टीम का ध्यान सिर्फ टूर्नामेंट जीतने पर नहीं होगा बल्कि करोड़ों लोगों की भावनाओं का सैलाब भी उमड़ेगा। रोहित और टीम के उनके साथी कहते रहे हैं कि मैदान के बाद क्या बोला जा रहा है इसका उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन बाहर से प्रशंसकों की आवाज ने ही खेल और इस टीम को इतना बड़ा बनाया है। कपिल देव ने 1983 में जब लार्ड्स में विश्व कप ट्रॉफी उठाई थी तो यह भारतीय क्रिकेट में नए युग की शुरुआत थी।
महेंद्र सिंह धोनी ने 2011 में जगह फाइनल में विजयी छक्का जड़ा तो इससे विश्व क्रिकेट में भारत के दबदबे की शुरुआत की। भारतीय क्रिकेट टीम 2023 में अपना तीसरा एकदिवसीय विश्व कप ही नहीं जीतना चाहेगी बल्कि 50 ओवर के प्रारूप को भी बचाना चाहेगी जो पिछले कम से कम पांच साल से अपनी पहचान बचाने के लिए जूझ रहा है। भारत की जीत से इस प्रारूप को जरूरी बढ़ावा मिलेगा। किसी भी टीम ने लगातार 11 जीत के साथ विश्व कप नहीं जीता हैं। यहां तक कि 2019 में इंग्लैंड को खिताबी जीत के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी। रोहित बेशक इतिहास रच देंगे क्योंकि अगर उनकी टीम लगातार 11वीं जीत दर्ज करने में सफल रहती है तो इस रिकॉर्ड को तोड़ना बेहद मुश्किल होगा। रोहित ने अब तक आगे बढ़कर टीम की अगुवाई की है।
उन्होंने 124 के शानदार स्ट्राइक रेट से 550 रन बनाए हैं और ‘रन मशीन’ विराट कोहली (90 से अधिक के स्ट्राइक रेट से 711 रन) को पारी को संवारने के लिए शानदार मंच दिया है। शुभमन गिल ने डेंगू और थकान से उबरने के बाद समय-समय पर अपने स्तर का परिचय दिया है। श्रेयस अय्यर ने शॉर्ट गेंद के खिलाफ कमजोरी से उबरते हुए सेमीफाइनल में शतक जड़ा और वह भी अच्छी लय में हैं। भारत के अभियान में हालांकि जिसने सबसे बड़ा अंतर पैदा किया वह हैं मोहम्मद शमी। शुरुआती मुकाबलों में एकादश से बाहर रहने के बाद ‘अमरोह एक्सप्रेस’ के नाम से मशहूर इस तेज गेंदबाज ने 23 विकेट चटकाकर भारतीय टीम को अजेय बना दिया। शमी इस पुरानी कहावत को सही साबित कर रहे हैं कि बल्लेबाज आपको मैच जिताते हैं लेकिन गेंदबाज आपके लिए टूर्नामेंट जीत सकते हैं।
इसके अलावा टीम के पास लोकेश राहुल का धैर्य, रविंद्र जडेजा का ऑलराउंडर खेल और सूर्यकुमार यादव का ‘एक्स फेक्टर’ भी है। कुलदीप यादव अपनी स्पिनर से बल्लेबाजों को लगातार परेशान कर रहे हैं जबकि जसप्रीत बुमराह की र्यार्कर डेविड वार्नर और स्टीव स्मिथ जैसे दिग्गजों पर भी भारी पड़ सकती है। काली मिट्टी से बनी पिच पर धीमा टर्न मिल सकता है लेकिन भारत के अश्विन के रूप में तीसरे स्पिनर को उतारने की संभावना नजर नहीं आती। ‘सैंडपेपर’ विवाद के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम की संस्कृति में आमूलचूल बदलाव आया। टीम ने किसी भी कीमत पर जीत की संस्कृति छोड़ दी लेकिन जीतना नहीं भूली है।