उप्र में 2024 चुनाव में सपा-कांग्रेस के इंडिया गठबंधन को फायदा, बसपा का सफाया

लखनऊ। 18वीं लोकसभा के लिए मतगणना में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर भारी उलटफेर लोकसभा चुनाव 2024 में देखने को मिल रहा है। चुनाव मतगणना के शुरूआती रूझानों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का हाथी कहीं भी रेस में नजर नहीं आ रहा है। वहीं सपा और इंडिया (आईएनडीआईए) गठबंधन बढ़ी बढ़त की छलांग लगाता दिख रहा है। जबकि उप्र से केन्द्र की सरकार बनाने वाली भाजपा और एनडीए को भारी नुकसान होता दिख रहा है।

केन्द्र की राजनीति में उप्र को केन्द्र बिन्दु कहा जाता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बीते चुनाव 2019 में इसी केन्द्र बिन्दु से 80 सीटों में सबसे ज्यादा सीटों पर विजयी प्राप्त कर केन्द्र में दूसरी बार नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बहुमत की सरकार बनाई थी। लेकिन इस बार 2024 के चुनाव में देश के सियासी केन्द्र बिन्दु से भाजपा को शुरूआती तीन घंटों की मतगणना में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। भाजपा के खाते में 40 से 45 सीटों पर बढ़त देखने को मिल रही है। रूझानों में समाजवादी पार्टी (सपा) ने 30 से अधिक सीटों पर बम्पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं इंडिया (आईएनडीआईए) गठबंधन में कांग्रेस पार्टी को पांच से अधिक सीटों पर संजीवनी मिलती दिख रही है। इस चुनाव में सबसे बड़ा नुकसान और सियासी रसूख बहुजन समाज पार्टी का गिरता दिख रहा है और हाथी एक भी सीट पर गरजता नहीं नजर आ रहा है। अगर शुरूआती तीन घंटों के रूझान नतीजों में बदलते हैं तो बसपा और मायावती की सियासत पूरी तरह से रसातल में पहुंच जाएगी।

वरिष्ठ पत्रकार अंजनी निगम ने मतगणना के शुरूआती रूझानों को लेकर बताया कि जिस तरह से चुनाव में उलेटफेर देखने को मिला है वह भाजपा के खिलाफ नहीं बल्कि जनता का उनके प्रत्याशियों के प्रति गुस्सा है। पार्टी ने जनता के गुस्सा जानते हुए भी कई सीटों पर उम्मीदवार नहीं बदले, जिसका फायदा सपा और विपक्षी गठबंधन के पक्ष में फिलहाल जाता दिख रहा है। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने जीत के लिए हिस्सा नहीं लिया था बल्कि अपनी विरासत को बचाने की भूमिका अदा की है। इसलिए बसपा प्रदेश की एक भी सीट पर खाता खोलती नहीं दिख रही है। यह चुनाव मायावती की राजनीति का सूपड़ा साफ करने वाला साबित होगा। हालांकि पूरी स्थिति दो-तीन बजे तक 10 से 12 राउंड की मतगणना के बाद स्पष्ट हो सकेगी।

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