जालौन। रमजान का माह इबादत का है। रमजान में कोई भी इबादत में पीछे नहीं रहना चाहता है। हर कोई रोजा रखकर नमाज अदा कर रहा है। जो समय पर नहीं कर पा रहे हैं, वे वक्त वे वक्त इबादत कर रहे हैं।
ऐसे में बच्चे कैसे पीछे रह सकते हैं। ये पढ़ाई-लिखाई के साथ रोजा रख रहे हैं। घर वालों के मना करने के बाद भी वह इबादत में पीछे नहीं रहना चाहते हैं। बताया जाता है कि इस्लाम में 12 साल के बच्चों पर रोजा फर्ज है, लेकिन शहर में इससे कम उम्र के बच्चे न केवल रोजा रख रहे हैं, बल्कि कुरान भी पढ़ रहे हैं। पांचों वक्त की नमाज अदा कर रहे हैं।
कुरान पढ़कर बिताते समय
शिवपुरी निवासी 11 साल के अल्तमश ने बताया कि सहरी में रोजा रखने के साथ सुबह नमाज पढ़ने जाते हैं। जो समय बचता है, उसमें कुरान पढ़ते हैं। पिछले साल पूरे रोजे नहीं रख पाए थे। इस बार इबादत जरूर पूरी करेंगे।
नमाज में बीत रहा समय
बजरिया निवासी आठ साल की अफीफा ने बताया कि अम्मी भी रोजा रखती हैं। वह भी उनके साथ जिद करके रोजा रखती हैं। आधा समय नमाज और कुरान पढ़ने में चला जाता है। बाकी समय में अम्मी का काम में हाथ बंटाती हैं।
बड़े बुजुर्गाें को देखकर रखा रोजा
तिलक नगर निवासी आठ साल के जैद मिर्जा ने बताया कि घर के बड़े बुजुर्गाें को रोजा रखते हुए देखा तो उन्होंने भी रोजा रखा। रोजा रखने से अंदर से ताकत मिलती है। कुरान, नमाज के बाद स्कूल की पढ़ाई भी करते हैं। इसमें उनके घर वाले भी सहयोग करते हैं।
नहीं होती कोई परेशानी
बजरिया की नौ साल की अबीबा फातिमा ने बताया कि उन्होंने पहला रोजा रखा तो कोई परेशानी नहीं हुई। इसके बाद और भी रोजे रखें। नमाज पढ़ने और कुरान पढ़ने में समय बीत जाता है। रोजा रखने के साथ इबाबद करने में अच्छा लगता है। इससे उन्हें ताकत मिलती है।