प्री मानसून की पहली बारिश में ही टपकने लगी रामलला की छत

अयोध्‍या : रामलला का मंदिर 500 वर्षों के संघर्ष के बाद सुखद परिणाम के स्वरूप निर्माण होकर खड़ा है भगवान का दर्शन उनके भव्‍य मंदिर में हो रहा है लाखों करोड़ों राम भक्तों की आस्था के मंदिर में प्री मानसून की पहली बारिश में ही छत से बहुत ज्यादा पानी टपक रहा है यह हम नहीं.. बल्कि यह दावा रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास कर रहे हैं रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बीते दिनों रामलला के गर्भगृह से पानी निकासी को लेकर सवालिया निशान मंदिर निर्माण में लगी संस्था के ऊपर लगाया था और अब रामलला मंदिर में प्री मानसून की पहली बारिश ने निर्माण कार्य की पोल खोल दी है

रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की मानें तो भगवान राम के भव्य मंदिर के गर्भगृह की छत बीते दिनों टपक रही थी, जिसे ठीक किया गया लेकिन अब प्री मानसून की पहली बारिश में भगवान के मंदिर के ठीक सामने पुजारी के बैठने के स्थान और जहां पर वीआईपी दर्शन के लिए लोग आते हैं, उस स्थल पर तेजी के साथ बारिश का पानी टपक रहा है यह नॉर्मल नहीं बहुत ज्यादा है, जिसको निकालने में भी कड़ी मशक्कत की गई

रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि यह आश्चर्यचकित करने वाली घटना है कि भगवान राम का भव्‍य मंदिर 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद आमजन के लिए खोला गया है प्री मानसून की पहली बारिश में रामलला के मंदिर की छत टपक रही है तेजी के साथ बारिश के पानी का रिसाव छत से हो रहा है विश्व प्रसिद्ध मंदिर के निर्माण कार्य में बारिश के पानी का रिसाव आश्चर्यजनक है

उनका कहना है कि निर्माण कार्य में लापरवाही हुई है यह गलत है पहली बारिश में ही गर्भगृह में पानी टपक रहा था, जिसे ठीक किया गया था अब जहां गर्भगृह के सामने दर्शनस्थल पर जहां पुजारी बैठते हैं और जहां से वीआईपी दर्शन होता है, उस मार्ग पर पानी भर गया था रात में बारिश हुई और जब सुबह पुजारी भगवान के पूजन के लिए वहां गए तो वहां पर पानी भरा मिला, जिसे कड़ी मस्क्कत के बाद मंदिर परिसर से निकाला गया है

बताते चलें कि बंसी पहाड़पुर के पत्थरों से रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है निर्माण कार्य में टाटा कंसल्टेंसी और एलएनटी कंपनी ने निर्माण कराया है, जिसमें देश के नामचीन इंजीनियरों ने अपना योगदान दिया है और प्री मानसून की पहली बारिश ने राम मंदिर निर्माण में लगी हुई कार्यदायी संस्थाओं की बड़ी लापरवाही सामने आई है

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