मुख्यमंत्री योगी के फैसले से अयोध्या में साधु-संत खुश…

योगी सरकार ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव हर जिले में मनाने की घोषणा की है. 14 से 22 जनवरी तक हर जिले के चिह्नित मंदिरों में रामचरितमानस और हनुमान चालीसा का पाठ होगा. अुपूरक बजट में सरकार ने अयोध्या संरक्षण और विकास निधि के लिए 50 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. ‘रामोत्सव’ 2023-24 के लिए 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय रामायण और वैदिक अनुसंधान संस्थान के विकास और विस्तार पर 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. योगी सरकार के फैसले से अयोध्या में साधु-संतों ने खुशी जताई है. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई का पात्र बताया है. हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने बताया कि भगवान राम भारत की आत्मा हैं.

योगी सरकार ने अनुपूरक बजट में किया प्रावधान

अनुपूरक बजट में 100 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान करना सराहनीय कदम है. राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले माहौल को राममय बनाने की कवायद बहुत सराहनीय है. तपस्वी छावनी के जगतगुरु परम हंसाचार्य ने बताया कि 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में रामलला विराजमान होनेवाले हैं. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत 4000 साधु संतों और ढाई हजार लोग हाजिर रहेंगे.

अयोध्या के साधु-संतों ने बताया सराहनीय कदम

उत्तर प्रदेश सरकार ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को रामोत्सव के रूप में मनाने के लिए 100 करोड़ की राशि भी घोषित कर दी है. मैं भी 28 मीटर लंबा चौड़ा राम कालीन दीपक बनवा रहा हूं. दीपक को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर प्रकाशित किया जाएगा. उन्होंने राम भक्तों से 22 जनवरी को हर घर और मंदिर में उत्सव मनाने की अपील की. व्यवस्था पर सरकार की तरफ से विशेष प्रावधान को उन्होंने सराहा.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव पर फैसला

परम हंसाचार्य ने कहा कि योगी आदित्यनाथ एक पीठ के पीठाधीश्वर भी हैं. उन्हें मालूम है कि मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठित का किस तरह उत्सव होना चाहिए. 500 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद राजाओं और अग्रेजों ने उलझा कर रखा. तुष्टिकरण की राजनीति के कारण राम मंदिर का निर्माण रुका रहा. अब प्रभु श्री राम मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं. इसलिए भव्य उत्सव पूरे देश में नहीं बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाना चाहिए.

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