कड़ाके की ठंड में ठिठुर कर दम तोड़ रहे गोवंशीय पशु,गौशालाओं में अभी तक नहीं पहुंचे टाट के बोरे

ठंडी अपने चरम पर पहुंची तेज पछुआ हवाओं से बढ़ी गलन में गोशालाओं में रह रहे गोवंशीय पशुओं का अत्यंत बुरा हाल

ठंडी अपने चरम पर पहुंच चुकी है । तेज पछुआ हवाओं से बढ़ी गलन ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। ऐसे में बीकेटी क्षेत्र के सहादत नगर गढ़ा, इंदारा,अल्दमपुर,ढिलवांशी सहित अन्य गावों की गोशालाओं में रह रहे गोवंशीय पशुओं का हाल अत्यंत बुरा है। गोवंशीय ठंड में ठिठुर कर अपना दम तोड़ रहे हैं ।लेकिन मुख्यमंत्री एवं जिले उच्चाधिकारियों के लाख निर्देशों के बाद भी गौशालाओं में टाट के बोरे नहीं पहुंच पाये है।जिससे कि गोवंशीय पशुओं को काऊ कोट बनाकर ठंड से बचाने के लिए पहनाया जा सके।वहीं प्रतिदिन भरण पोषण के लिए 50 रुपये प्रति गोवंश के हिसाब से सरकार द्वारा भेजे जाने के बाद भी खाने के नाम पर उन्हें सिर्फ सूखा पुआल ही मयस्सर है, बावजूद विभाग अधिक जहमत उठाने के मूड में नहीं दिख रहा है।
बता दें कि अब सर्दी का आगाज पूरी तरह से हो चुका, लेकिन गोवंश के बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए।सर्दी व हवा से बचाव के इंतजाम नहीं हैं।गौशाला में लगभग 8×8 का तिरपाल है,लेकिन यह तिरपाल ठंड से बचने के लिए काफी नहीं है।सर्द हवाओं में गोवंश टिन शेड के नीचे कांपते नज़र आ रहे है जबकि गौवंशो के नीचे कीचड़ व साफ सफाई न होने से गौशाला की हालत खस्ता नज़र आ रही हैं।जब प्रधानों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि शासन से पैसा नहीं आ रहा है,तो हम कब तक अपनी जेब से खर्च करते रहेंगे।विकासखंड क्षेत्र के गांव महिगवां,किशुनपुर,सुवशीपुर,उसरना,भगौतीपुर,इन्दारा, सोनवा, ढिलवासी, मण्डौली, चकपृथ्वीपुर, अचरामऊ, सहदातनगर गढ़ा, परसहिया, अल्दमपुर, पहाड़पुर,मानपुर लाला, सुल्तानपुर, पालपुर, कौडियामऊ, कुम्हरावां में अस्थाई गोशालाएं हैं।इनमें गोवंशों को रात में टिन शेड में रखा जाता है, जिसके चारों ओर तिरपाल तो लगा है। लेकिन गोवंश ठंड में जमीन पर बिना पराली और पत्ती के ही बैठते हैं। ग्राम प्रधान अमित शर्मा ने बताया कि उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है।देखने में आया है कि गोवंशो को ना तो गुड़ मिल रहा है और न ही उन्हें पहनने के लिए काऊ कोट ही मिल रहें हैं।जिससे रात में होने वाली भयंकर सर्दी में गोवंशों को रात काटना काफी मुश्किल हो रहा है।गांव वालों ने यह भी कहा कि पशुओं के चिकित्सा के नाम पर मात्र खानापूर्ति की जाती है, इसलिए मौतों का सिलसिला नहीं थम रहा है ।

जिम्मेदार बोले

गोशालाओं में संरक्षित गोवंशीय पशुओं को ठंड से बचाने के लिए सभी जरूरी निर्देश दिये जा चुके हैं।अगर व्यस्थाएं नहीं की गई हैं तो इसके लिए जिला विकास अधिकारी व खंडविकास अधिकारी को तत्काल जांच कर गोवंशीय पशुओं को ठंड से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के सख्त निर्देश दिये है।

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