ताबूत और मातमी जुलूस में गूंजी ‘या अली’ की सदाएं

महमूदाबाद/सीतापुर। हजरत अली 19 रमजान को रोज़े की हालत में मस्जिद-ए-कुफा (इराक) में जब सुबह की नमाज में सजदे में थे। अब्दुर्रहमान पुत्र मुलजिम नाम के व्यक्ति ने उन पर जहर भरी तलवार से हमला कर दिया था। 2 दिन बाद 21वीं रमजान की रात फज्र नमाज़ से पहले उनकी शहादत हो गई। उन्हीं की याद में हर वर्ष की भांति इस बार भी नगर के राजा किले से 21वीं रमज़ान को ताबूत और मातमी जुलूस शिया समुदाय की ओर से गमगीन माहौल में निकाला गया।
महमूदाबाद नगर स्थित किले से वक्फ महाराजा के अंतर्गत जुलूस में शाही साज सज्जा से सुशोभित जिसमे अलम, ऊंट, दुलदुल, ताबूत, ताजिया, शामिल थे। जुलूस सोमवार सुबह करीब 9 बजे बरामद हुआ। जिसकी कियादत मुतवल्ली वक्फ मोहम्मद अमीर अहमद खान (डॉ. अली खान) कर रहे थे। जुलूस में अंजुमन हैदरी, अंजुमन सज्जादिया और अंजुमन अब्बासिया सोज़ख्वानी के साथ-साथ नौहाख्वानी व मातम कर रही थीं। जुलूस अपने निर्धारित मार्गो से होता हुआ मीरगंज स्थित करबला पहुंचा। जहां पर गमगीन माहौल में ‘या अली’ की सदाओं के साथ ताबूत व ताज़िये सुपुर्द-ए-लहद किए गए। जुलूस में सैकड़ो की तादाद में पुरुष, महिलाएं व बच्चे शामिल थे। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन भी मुस्तैद रहा।

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