महादेव के शहर में 80 कमरों की होगी धर्मशाला, संचालन भी महिलाएं ही करेंगी

वाराणसी। नव्य-भव्य बाबा विश्वनाथ धाम बनने के बाद काशी में प्रति दिन औसतन लगभग साढ़े तीन लाख तीर्थयात्री आ रहे हैं। इसमें महिलाएं व उनकी टोली भी शामिल हैं। बावजूद इसके महिलाओं के ठहरने के लिए यहां स्वतंत्र व्यवस्था नहीं है। इस समस्या को देखते हुए सामाजिक संस्था विश्व मांगल्य सभा 80 कमरे की धर्मशाला बनाने जा रही है।

खास बात है कि इसकी कर्मचारी भी महिलाएं ही रहेंगी। साथ ही प्रतिदिन चार हजार लोगों के भोजन करने की क्षमता वाली श्रीनाथ रसोई भी बनेगी। पंढपरपुर में जो भगवान बिट्ठल मंदिर का मंदिर हैं, हुबहू उसकी प्रकृति भी काशी में बनाई जाएगी। इसके अलावा फड़नवीस बाड़ा, बिंदुमाधव मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया जाएगा।

ये सारे कार्य तीन फेज में होने वाले हैं। निर्माण शुरू भी हो गया है। विश्व मांगल्य सभा की अखिल भारतीय राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. वैशाली जोशी, काशी प्रकल्प प्रमुख शिवांगी द्विवेदी व काशी प्रांत की अध्यक्ष आनंद प्रभा सिंह ने संयुक्त रूप से ‘दैनिक जागरण’ को बताया कि इन सभी कार्यों की डिजाइन भी तैयार हो चुकी है। ये कार्य तीन साल में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 40 करोड़ हैं।

बताया कि यहां पर हजारों महिला तीर्थयात्री भी आती हैं, लेकिन वे चाहकर भी स्वत्रंत रूप से नहीं रह पाती है। यहां बनने वाली धर्मशाला में सिर्फ महिलाएं भी रहेंगी। नारी सशक्तीकरण को आगे बढ़ाते हुए यहां इन योजनाओं की व्यवस्था के संचालन में 200-250 महिला कर्मचारी रहेंगी। यही नहीं यहां ठहरने वाली महिलाओं के लिए महिलाओं द्वारा संचालित होने वाली नौका की भी व्यवस्था होगी।

मेगा किचन, स्टोरेज व अन्न क्षेत्र होगा

श्रीनाथ रसोई में मेगा किचन, स्टोरेज व अन्न क्षेत्र होगा। डा. वैशाली जोशी ने बताया कि प्रथम फेज में नई धर्मशाला व विट्ठल मंदिर की प्रतिकृति, दूसरे फेज में अन्न क्षेत्र का कांप्लेक्स व बिंदु माधव मंदिर का जीर्णोद्धार होगा।

बताया कि विश्वमांगल्य सभा नारी सशक्तीकरण व मातृत्व पर कार्य करती है। साथ ही धर्म, संस्कार, संस्कृति, राष्ट्र, विचार, रहन-सहन, साहस, क्षमता, आर्थिक, सामाजिक क्षमता को विकसित किया जाता है। इसकी स्थापना 2010 में हुई थी, जिसकी पहली कार्यशाला नागपुर में हुई थी। देश के 42 प्रांतों में से 27 प्रांतों में यह सभा कार्य कर रही है।

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