ज्ञानवापी मामले में तीन साल पुराने जमीन की अदला बदली को कोर्ट में दी चुनौती, याचिका दाखिल

– विश्वनाथ कॉरिडोर की सारी जमीन बाबा के नाम करने की याचिका के जरिए मांग

वाराणसी। विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर समस्त अधिग्रहित भूमि जो परकोटे के अन्दर हैं, का स्वामित्व विश्वनाथ मंदिर का घोषित करने व अंजुमन इंतजामिया से जमीन की अदला बदली को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल की गई है।

बनारस बार एसोसियेशन के पूर्व महामंत्री अधिवक्ता नित्यानंद राय ने सिविल जज सीनियर डिविजन हितेश अग्रवाल की अदालत में याचिका दाखिल किया है। याचिका में कहा गया है कि वादी आस्थावान हिंदू है और आदि विश्वेश्वर मंदिर जो श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के रूप मे सार्वजनिक पूजास्थल के रूप मे उपयोग में लाया जाता है, पर होने वाले किसी भी अतिक्रमण को रोकने के लिये जागरूक रहता है। प्लाट नम्बर 8276 का स्वयं को मालिक बताते हुए अंजुमन इंतजामिया ने उत्तर प्रदेश सरकार से खरीदे गये भवन संख्या सी के 38/12,13 से अदला बदली कर ली। अंजुमन द्वारा इस प्लाट नम्बर 8276 पर अवस्थित बताया। मगर कोई प्रमाण नहीं दिया। अंजुमन ने कॉरिडोर को बनाने में हुए जल्दीबाजी का फायदा उठाते हुये विनिमय यानी अदला बदली का षड्यंत्र रचा।

जल्दबाजी में उत्तर प्रदेश सरकार व अंजुमन के बीच 10 जुलाई 2021 को उपनिबंधक द्वितिय के यहां अदला बदली का निबंधन हुआ, जो गलत है। अदला बदली विलेख में भवन संख्या सी. के. 31/19 की चौहद्दी पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में काशी विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख है। याचिका में वादी नित्यानन्द राय ने प्रार्थना किया है कि विनिमय प्रलेख शून्य घोषित किया जाय तथा विश्वनाथ मंदिर परकोटे में आने वाले समस्त अराजियात, 8276, 9130, 9131, 9132, 9133, 9134, 9135 मौजा शहर खास, परगना देहात अमानत पर स्वामित्व श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का घोषित किया जाय।

बता दें कि आज की तारीख में जो विश्वनाथ कॉरिडोर के लिये क्रय की गयी समस्त सम्पत्ति उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्यपाल के नाम से क्रय की हुयी है। वादी नित्यानन्द राय की तरफ से अधिवक्ता देशरत्न श्रीवास्तव व सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता गौरव सिंह ने बहस की। अदालत को बताया कि अंजुमन अदला बदली मे प्राप्त मकान का प्रकृति बदलना चाहता है। लिहाजा दिवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 80 की नोटिस देने की अनिवार्यता से उन्मोचित कर तत्काल वाद दर्ज कर गुण दोष के आधार पर मुकदमें का निस्तारण किया जाय। सरकार की तरफ से विशेष अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने मौखिक आपत्ति दर्ज करायी। इस मामले में मंगलवार देर शाम तक कोई आदेश पारित नहीं हुआ था।

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