2018 के उप चुनाव में सपा के प्रवीण निषाद ने दर्ज की थी जीत

गोरखपुर। लोकसभा सीट गोरखपुर भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है। 1991 से लगातार यहां भाजपा का ही परचम लहराया। 2014 के चुनाव तक गोरक्षपीठ ने इस सीट का नेतृत्व किया, लेकिन 2018 में हुए उप चुनाव में भाजपा को यह सीट गंवानी पड़ गई। सपा के प्रत्याशी प्रवीण कुमार निषाद को यहां जीत मिली और भाजपा के उपेंद्र दत्त शुक्ल चुनाव हार गए।

हालांकि एक साल बाद ही हुए 17वीं लोकसभा के आम चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर यहां जीत हासिल कर ली। गोरक्षपीठ के जरिए भाजपा ने गोरखपुर सीट पर अपनी मजबूत पकड़ रखी है। 1989 में जनता दल के लहर के बीच महंत अवेद्यनाथ ने हिन्दू महासभा के बैनर पर जीत हासिल की।

1991 में वह भाजपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे। इसी चुनाव में पहली बार भाजपा को यहां जीत मिली। 1996 में भी महंत अवेद्यनाथ भाजपा के टिकट पर संसद पहुंचे। 1998 में योगी आदित्यनाथ ने पहला चुनाव लड़ा और उन्हें भी जीत मिली। वह लगातार पांच बार यहां से सांसद चुने गए।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। 2018 में हुए उपचुनाव में भाजपा की ओर से उपेंद्र दत्त शुक्ल प्रत्याशी बनाए गए।

सपा ने उस समय निषाद नेता के रूप में उभरे डा. संजय निषाद के पुत्र प्रवीण पर दांव लगाया। परिणाम प्रवीण के पक्ष में आया। इस चुनाव में सपा प्रत्याशी को चार लाख 56 हजार 513 वोट जबकि भाजपा प्रत्याशी को चार लाख 34 हजार 632 वोट मिले थे।

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