व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया है कि वह 2024 में रूस में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उतरने वाले हैं. इस तरह कहीं न कहीं उनका पांचवां कार्यकाल भी तय माना जा रहा है. पुतिन की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर ऐलान किए जाने की संभावना पहले ही जताई गई थी. ऐसे में अब उन्होंने चुनाव लड़ने की घोषणा कर भी दी है. हालांकि, भले ही अभी चुनाव और रिजल्ट में महीनों का वक्त बाकी है, मगर सभी जानते हैं कि पुतिन ही इस चुनाव को जीतने वाले हैं.
दरअसल, पुतिन ने रूस की राजनीतिक व्यवस्था को पूरी तरह से कंट्रोल किया है. विपक्षी नेताओं को जेल में भेजना हो या फिर विरोधियों को ठिकाने लगाना. रूस में पुतिन के लिए ये आम बात रही है. पुतिन ने पिछले सभी चुनाव भारी-भरकम मार्जिन से जीता है. हालांकि, चुनाव पर नजर रखने वाली संस्थाओं का कहना है कि पुतिन चुनावों में धांधली करते आए हैं. पुतिन के लंबे समय तक प्रवक्ता रहने वाले शख्स ने कहा है कि वह अगले साल 90% वोट के साथ चुनाव जीतेंगे.
सत्ता के लिए संविधान में बदलाव
व्लादिमीर पुतिन ने 2020 में संविधान में बदलाव करवाए, जिसके जरिए वह अगले साल अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद भी अगले दो टर्म तक राष्ट्रपति रह सकते हैं. रूस में राष्ट्रपति का कार्यकाल छह सालों का होता है, जिसका मतलब हुआ कि अगर पुतिन चाहें तो 2036 तक राष्ट्रपति बने रह सकते हैं. अगर वह तब तक राष्ट्रपति बने रहते हैं, तो उनका कार्यकाल जोसेफ स्टालिन के कार्यकाल से भी लंबा हो जाएगा. स्टालिन ने 29 सालों तक रूस की सत्ता संभाली थी.
पुतिन को 1999 में बोरिस येल्तसिन के हाथों राष्ट्रपति पद मिला था. इस तरह वह 23 से ज्यादा साल से रूस की सत्ता पर काबिज हैं. उन्होंने इस दौरान कई सारे रिकॉर्ड भी बनाए हैं. पुतिन ने 18 साल तक शासन करने वाले लियोनिड ब्रेझनिव का रिकॉर्ड पहले ही तोड़ दिया है. ऐसे में अब सवाल उठता है कि अगर 71 साल के पुतिन चाहें तो आजीवन राष्ट्रपति बने रह सकते हैं. मगर फिर भी वह अगले साल चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं.
क्यों चुनाव लड़ रहे हैं पुतिन?
दरअसल, पुतिन राष्ट्रपति चुनाव इसलिए लड़ रहे हैं, क्योंकि उनके आगे कई चुनौतियां खड़ी हैं. अगर वह इन चुनौतियों से पार नहीं पाते हैं, तो उनके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि वो चुनौतियां कौन सी हैं, जिनकी वजह से पुतिन चुनाव लड़ने पर मजबूर हुए हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध: व्लादिमीर पुतिन के चुनाव लड़ने की सबसे बड़ी वजह रूस-यूक्रेन युद्ध है. यूक्रेन पर हमले के बाद ये पहला चुनाव है. चुनाव के दौरान उन हिस्सों में भी वोटिंग करवाई जाएगी, जहां अब रूस का कब्जा है. विश्लेषकों का कहना है कि पुतिन ने सैनिकों के आगे चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, क्योंकि वह अपने चुनावी अभियान को युद्ध से जोड़ना चाहते हैं.
मॉस्को स्थित कार्नेगी रूस यूरेशिया सेंटर के एक सीनियर फेलो आंद्रेई कोलेनिकोव ने कहा कि ये चुनाव यूक्रेन पर हमला करने के उनके फैसले को वैध बनाने के लिए हैं. वह दिखाना चाहते हैं कि अधिकांश रूसी युद्ध का समर्थन करते हैं. रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध भी लगे हुए हैं. ऐसे में पुतिन ये भी दिखाना चाहते हैं कि रूस पर प्रतिबंधों के बाद भी जनता उनके साथ है.
रूस की सत्ता पर पकड़: गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्लेषकों और क्रेमलिन के पूर्व अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वह रूस के एलिट वर्ग को संकेत देना चाहते हैं कि वैगनर ग्रुप के चीफ येवेज्ञनी प्रिगोझिन के विद्रोह के बाद भी देश पर उनका कंट्रोल है. वैगनर के विद्रोह के बाद ऐसा लगने लगा था कि रूस पर से उनका कंट्रोल छूट रहा है. एलिट वर्ग पुतिन को खासा सपोर्ट करता है.
रूस में अगले साल 17 मार्च को चुनाव करवाए जाएंगे और नतीजों का ऐलान मई में होने वाला है. पुतिन की अप्रूवल रेटिंग 80 फीसदी पर है. ये इस बात की ओर इशारा करती है कि पुतिन के लिए ये चुनाव जीतना बेहद ही आसान होने वाला है.