वाराणसी: ज्ञानवापी पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे में सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों का कहना है कि कई ऐसे सचित्र प्रमाण हैं जो यह स्पष्ट करते हैं कि ज्ञानवापी मंदिर का हिस्सा है। इसी सप्ताह एएसआई ने सोमवार को वाराणसी जिला कोर्ट के सामने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर अपनी वैज्ञानिक सर्वे रिपोर्ट एक सीलबंद कवर में सौंपी थी। बताया गया था कि रिपोर्ट 21 दिसंबर यानी आज याचिकाकर्ताओं के साथ साझा की जाएगी और इसकी एक प्रति सुप्रीम कोर्ट भेजने के लिए कहा गया था। एएसआई काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कर रही था, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि 17 वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी जिला कोर्ट के सर्वे के आदेश को बरकरार रखा था।
कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि यह कदम न्याय के हित में आवश्यक है और इससे विवाद में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को फायदा होगा। इसके बाद ज्ञानवापी सर्वे शुरू हुआ था। इस साल 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया था। उन्होंने अपने आदेश में कहा था कि एएसआई चार अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंपे। जिला कोर्ट के फैसले पर काम करते हुए ASI की टीम ने 24 जुलाई को सर्वे शुरू कर दिया। इसके विरोध में मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर तत्काल रोक लगा दी। इसके अलावा हाईकोर्ट को 26 जुलाई शाम 5 बजे तक फैसला सुनाने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने सुनवाई करने के बाद 27 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखते हुए 3 अगस्त को फैसला सुनाने का आदेश दिया। इसके बाद हाईकोर्ट ने सर्वे को मंजूरी दी, जिसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को एएसआई सर्वे को मंजूरी प्रदान कर दी। इस दौरान अदालत ने यह भी साफ किया कि अगर किसी मामले में सर्वेक्षण से स्थिति स्पष्ट होती है तो किसी पक्ष को परेशानी नहीं होनी चाहिए।