तबादला नीति जाए भाड़ में, मैं तो यहीं रहूंगा!

  • उद्यान विभाग के सहायक लेखाधिकारी जो 24 साल से लगा रहा विभाग को चूना, जमकर हो रहा भ्रष्टाचार , जिम्मेदारों की आंखें बंद
  • जुलाई माह में तबादला होने के बावजूद भी,आंतरिक लेखा विभाग की निदेशिका के आदेशों को ठेंगा दिखा रहा उद्यान निदेशालय में तैनात सहायक लेखाधिकारी

अजय सिंह चौहान

निष्पक्ष प्रतिदिन,लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का उद्यान निदेशालय हमेशा सुर्खियों में बना रहता है, फिर चाहे घोटालों को लेकर हो या बात ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर । इसके अतिरिक्त एक और मामले के लिए भी विभाग कुख्यात है वह है अधिकारियों के भ्रष्टाचार के लिए।उस पर से उनको हटाने वाला कोई नहीं है।जिससे यहां पर कई अधिकारी सालों से जमें हुए हैं। ये ऐसे अधिकारी हैं, जो कुर्सियों से फेविकोल की तरह चिपक गए हैं। फेविकोल इतना मजबूत है, कि कुर्सी से मोह खत्म होने ही नहीं दे रहा है।यहां पर तैनात सहायक लेखाधिकारी अंबिका नाथ सिंह जो अपनी सेवा का पूरा कार्यकाल उद्यान निदेशालय लखनऊ में ही एक ही कुर्सी ही सीट पर बिता रहे है। अपने प्रभाव से अपना ट्रांसफर अन्य जगह नही होने देते, उद्यान विभाग के कर्मचारियों के ट्रांसफर में बड़े खेल हो रहे है।यह ऐसे अधिकारी हैं, 24 कि 24 सालों से उद्यान निदेशालय में सहायक लेखाधिकारी के पद पर जमे हुए हैं।अभी गत जुलाई में ही आंतरिक लेखा विभाग की निदेशिका साधना श्रीवास्तव ने इनका ट्रांसफर कर दिया था।लेकिन इनका कहना है कि तबादला नीति जाए भाड़ में, मैं तो यहीं रहूंगा।मैं तो उद्यान मंत्री दिनेश सिंह मेरे रिश्तेदार हैं,शासन में भी मेरे कई अधिकारी बैठे हैं,मैं जहां चाहूंगा वहीं रहूंगा।मेरे उपर कोई भी तबादला नीति लागू नहीं होगी।इसी तरह से दुग्ध आयुक्त के यहां सहायक लेखाधिकारी सुरेश चंद्र पाण्डेय,अवधेश कुमार यादव,राम प्रसाद गौतम और लघु सिंचाई विभाग में ज्येष्ठ लेखा परीक्षक के पद पर तैनात राजबीर भी अपनी कुर्सी छोड़ नहीं पा रहे हैं।

24 साल से एक ही कुर्सी पर जमा हुआ है सहायक लेखाधिकारी

ताजा मामला लखनऊ में उद्यान निदेशालय में सहायक लेखाधिकारी अंबिका नाथ सिंह का है जो पिछले लगभग 24 वर्षों से उद्यान निदेशालय में सहायक लेखाधिकारी के पद पर ही तैनात है, विभाग में मौजूद कई कर्मचारियों ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि छोटे अधिकारी अगर 3 साल हो जाते हैं तो तत्काल प्रभाव से उन्हें स्थानांतरित कर दिया जाता है, लेकिन ऐसी क्या वजह है कि अंबिका नाथ सिंह पर आंतरिक लेखा प्रशासन की कोई नीति लागू नहीं होती।ऐसा क्या है जो उनका स्थानांतरण उद्यान निदेशालय लखनऊ से होता ही नहीं है। सूत्र बताते हैं कि अंबिका नाथ सिंह उद्यान निदेशालय लखनऊ में सहायक लेखाधिकारी के पद पर ठाठ से नौकरी कर रहे हैं, उन्हें स्थानांतरण पॉलिसी का कोई डर नहीं है ।

आखिर अंबिका नाथ सिंह पर कौन है मेहरबान

सूत्र यह भी बताते हैं कि अंबिका नाथ सिंह पर उद्यान विभाग के पूर्व निदेशक डा.आरके तोमर सहित शासन में बैठे कई आला अधिकारियों की मेहरबानी जो ठहरी। इसीलिए 24 वर्षों से उद्यान निदेशालय लखनऊ की कुर्सियों पर विराजमान है। अब देखना होगा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार कहते हैं, कि ट्रांसफर पॉलिसी का सख्ती से पालन कराया जाए। तो माना जाए ट्रांसफर पॉलिसी इस बार उद्यान निदेशालय लखनऊ में सहायक के पद पर तैनात अंबिका नाथ सिंह पर लागू होगी या फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश भी अंबिका नाथ सिंह के आगे बौने साबित हो जाएंगे।

जिम्मेदार बोली
मैंने स्थानांतरण नीति 2023-24 के तहत उत्तर प्रदेश के उद्यान,लघु सिंचाई और दुग्ध विभाग सहित कई विभागों में अधिकारियों कर्मचारियों के पद स्थापन और ट्रांसफर किये हैं।और उनके विभागाध्यधों को उनको रिलीज करने के लिए पत्र भी भेजा है।अगर यह अधिकारी कर्मचारी अपने नए नियुक्ति स्थल पर अपना कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहे हैं, तो इनके खिलाफ कठोर कर्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

साधना श्रीवास्तव
निदेशिका
आंतरिक लेखा विभाग
उत्तर प्रदेश

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