एक ऐसे देश में जिसके संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्षता निहित है, क्या धर्म नागरिकता का आधार हो सकता है, जवाब है- नहीं- सांसद मनीष तिवारी

नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों से काफी पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 के नियमों को अधिसूचित किए जाने की खबरों पर कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया कि यह कानून हमेशा से चुनावों से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने का हथियार था।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने दिसंबर, 2019 में विवादित कानून को बुलडोज किया था। संसदीय प्रक्रियाओं के मुताबिक कानून को प्रभावी बनाने वाले नियम छह माह में बना दिए जाने चाहिए, लेकिन इसके लिए नौ विस्तार मांगे गए और दिए गए। इससे पहले पंजाब से पार्टी सांसद मनीष तिवारी ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि एक ऐसे देश में जिसके संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्षता निहित है, क्या धर्म नागरिकता का आधार हो सकता है, जवाब है- नहीं।

उन्होंने कहा, ”दिसंबर 2019 में जब मैंने लोकसभा में सीएए के विरोध का नेतृत्व किया था तो यह मेरे तर्क का केंद्र बिंदु था। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती में यह मुख्य प्रश्न है।” कांग्रेस नेता ने कहा, ”कल्पना करें कि कल कोई सरकार यह तर्क दे सकती है कि धर्म नागरिकता का आधार होगा, यहां तक कि क्षेत्रीय रूप से जन्मस्थान या भारत के संविधान या नागरिकता अधिनियम में नागरिकता के लिए अन्य मानदंड नहीं होंगे।”

मनीष तिवारी ने उम्मीद जताई कि भारत के पड़ोस में धार्मिक उत्पीड़न पर काबू पाने के लिए उचित वर्गीकरण के नाम पर किसी अन्य प्रपंच का खाका तैयार नहीं किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिमों (हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों एवं ईसाइयों) को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी।

ओवैसी ने सीएए को बताया असंवैधानिक
एआइएमआइएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने देश की मस्जिदों पर भड़काऊ भाषण देने के बाद अब सीएए को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह धर्म के आधार पर बनाया गया संविधान विरोधी कानून है।हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने बुधवार को मीडिया से कहा कि सीएए को एनपीआर और एनआरसी के साथ समझा जाना चाहिए।

इन्हीं के आधार पर नागरिकता की शर्तों को साबित करना होगा। अगर ऐसा हुआ तो यह खासतौर पर देश के मुसलमानों के साथ नाइंसाफी होगी। इसके अलावा, दलितों और भारत के गरीबों के साथ भी अन्याय होगा। ओवैसी उन मीडिया रिपोर्टों का जवाब दे रहे थे जिनमें लोकसभा चुनाव के पहले ही सीएए के नियमों को लागू करने की केंद्र की तैयारी की बात कही गई है।

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