अजय सिंह चौहान
- फलपट्टी क्षेत्र के गांवों में अवैध खनन से हरियाली नष्ट होने के साथ ही उपजाऊ जमीन हो रही बंजर
- अवैध रूप से किए जा रहे खनन से राजस्व के साथ-साथ पर्यावरण को भी पहुंच रहा है नुकसान
निष्पक्ष प्रतिदिन /लखनऊ
वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण भारत का ही नहीं विश्व का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है।लेकिन बीकेटी फलपट्टी क्षेत्र के दर्जनों गांवों में लगातार अवैध खनन किया जा रहा है। एक सीमा तक खनन का खास दुष्प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन अनियंत्रित और अवैध खनन से फलपट्टी में पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है। अति दोहन से तापमान में वृद्धि जैसे दुष्प्रभाव सामने आते हैं। विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं को भी नुकसान हो रहा है। इसलिए फलपट्टी क्षेत्र में अवैध खनन को रोकना बहुत जरूरी है।
फलपट्टी क्षेत्र के गांवों में एक तरफ जहां अवैध खनन से हरियाली नष्ट होने के साथ ही जमीन बंजर हो रही है,वहीं वन्य जीवों की दुर्लभ प्रजातियां भी विलुप्त हो रही हैं, मिट्टी का कटाव बढ़ रहा है और खेतों की उपजाऊ शक्ति कम हो रही है। फसल चक्र बुरी तरीके से बिगड़ रहा है।फलपट्टी क्षेत्र में अवैध रूप से किए जा रहे खनन से राजस्व के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है।जिससे फलपट्टी क्षेत्र में हरियाली का दायरा सिमट रहा है, जंगली जानवरों के आवास कम हो रहे हैं, पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंच रहा है। थोड़े से लाभ के लिए खनन माफिया फलपट्टी क्षेत्र में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इसलिए अवैध खनन को जनहित में रोका जाना आवश्यक हो गया है, नहीं तो वह दिन दूर नहीं है कि ज़ब फलपट्टी क्षेत्र मरुभूमि में तब्दील हो जायेगा।वहीं लगातार किए जा रहे अवैध खनन अवैध खनन से फलपट्टी के मौसम चक्र में बदलाव हो रहा है। गर्मी भी बहुत पड़ रही है। यह सब पर्यावरण के असंतुलित होने का ही दुष्प्रभाव है। अवैध खनन के कारण वायु भी दूषित हो जाती है। हरियाली नष्ट हो जाती है।वहीं उपजाऊ भूमि को नुकसान पहुंचा रहा है। रेत के कण हवा में घुल के वायु को दूषित कर रहे हैं।जो मानव के लिए घातक है, क्योंकि इससे फेफड़ों से संबंधित बीमारी हो रही है। प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।इसलिए फलपट्टी क्षेत्र में अवैध खनन को रोकना जरूरी है।