नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों और मंत्रियों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से मुलाकात की। मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से एक साथ विधायकों की यह पहली मुलाकात है। मुख्यमंत्री आवास पर मुलाकात के दौरान सभी विधायकों ने उन्हें भरोसा दिया कि वो सभी अरविंद केजरीवाल के साथ एकजुट खड़े है। दिल्ली की दो करोड़ जनता भी उनके साथ है।
इसलिए उनको मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देना चाहिए। भाजपा तो चाहती है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल इस्तीफा दें। इसके लिए भाजपा कैंपेन भी चलाएगी, लेकिन जब वो इस्तीफा दे देंगे तो यही भाजपा कहेगी कि वो भाग गए। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री थे, हैं और आगे भी रहेंगे।
सुनीता केजरीवाल विधायकों का यह संदेश अरविंद केजरीवाल तक पहुंचएंगी। उन्होंने कहा कि जेल से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ‘आप’ के सभी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संदेश भेजा है कि मेरी चिंता न करें। मैं ठीक हूं, मजबूत हूं और मेरे इरादे पहले से ज्यादा मजबूत हैं।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से कई विधायक अरविंद केजरीवाल की धर्मपत्नी सुनीता केजरीवाल से मिलना चाहते थे, लेकिन परिस्थितियां ठीक नहीं थीं। केवल कुछ लोग ही उनसे मिल पा रहे थे। सभी केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार धरना प्रदर्शन में व्यस्त थे। इसके बाद सभी विधायक 31 मार्च को रामलीला मैदान में आयोजित महारैली की तैयारियों में लग गए। इसलिए मंगलवार को आम आदमी पार्टी के सभी विधायक सीएम आवास पर सुनीता केजरीवाल से मुलाकात करने आए थे।
उन्होंने बताया कि करीब दो दर्जन विधायकों ने अपनी बात सुनीत केजरीवाल के सामने रखी। विधायकों ने उनसे कहा कि बीजेपी बहुत दबाव बनाएगी, अलग-अलग तर्क-कुतर्क दिए जाएंगे कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दें। भाजपा की तरफ से एक पूरा कैंपेन चलाया जाएगा कि वो अपने पद से इस्तीफा दें। जिस तरह से लोकपाल बिल के समय पर जब वो पास नहीं हो पाया था, तब सीएम पर इस्तीफे का दबाव बनाया गया था। जब उन्होंने इस्तीफा दे दिया तो कहा गया कि वो भाग गए। बीजेपी की यह पॉलिसी है कि इस्तीफा लेने के लिए एक जाल बिछाया जाए।
मीडिया के सवालों पर सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एक बहुत पुरानी कहावत है कि जब गांव में दही से मक्खन निकाला जाता था तो मां उसको हांडी में बांध देती थी कि बच्चे उसमें से मक्खन न निकाल लें। तब बिल्ली उस हांडी को देखती रहती थी, उसको लगता था कि हांडी अपने आप टूट जाएगी और मक्खन अपने आप नीचे गिर जाएगा। आज बीजेपी रूपी बिल्ली भी दिल्ली की सत्ता को 25 साल से ऐसे ही देख रही है। मगर ये सत्ता उससे उतनी ही दूर है, जितनी 25 साल पहले थी। ये हांडी न टूटेगी और न ये मक्खन बीजेपी को मिलेगा।