बाराबंकी। एक महिला ने अपने पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर ली। पहले पति से दो पुत्रियां तथा दूसरे पति से एक पुत्री है। महिला की दूसरे पति से भी बात नहीं बनी। विवाद होने पर दूसरे पति से गुजारा भत्ता का मुकदमा कर दिया। दूसरे पति ने महिला की पहली शादी व मौजूदा समय तीसरे व्यक्ति के साथ रहने की बात अदालत के समक्ष रखी।
अदालत ने पहले पति से विधिक तलाक नहीं लेने के कारण दूसरे पति से गुजारे का दावा ही खारिज कर दिया। मामला पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश की अदालत पर वर्ष 2018 से चल रहा था। प्रधान न्यायाधीश दुर्ग नारायण सिंह के समक्ष वादी महिला के विपक्षी दूसरे पति ने अदालत में बताया कि महिला उनके साथ सात वर्ष से नहीं रह रही है।
उससे जो एक पुत्री है, वह साथ है। महिला अपने साथ पहले पति से हुई दो पुत्रियों को रखे है। पति ने अदालत पर महिला के कुछ ऐसे चित्र भी प्रस्तुत किए, जिसमें वह दूसरे व्यक्ति के साथ वाहन से जाती दिखाई देती है। महिला ने पहली शादी व उससे दो पुत्रियों के होने की बात तो अदालत के समक्ष स्वीकारी, लेकिन किसी तीसरे व्यक्ति के साथ शादी से इन्कार किया है।
इतना जरूर माना कि जिस व्यक्ति के साथ उसके फोटो दिखाए जा रहे हैं, वह रिश्तेदार है। राज्य सरकार की ओर से नामित पारिवारिक न्यायालय के अधिवक्ता वीरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि अदालत ने इस मामले में महिला के गुजारा भत्ता का दावा इस आधार पर खारिज किया कि महिला ने पहले पति से विधिक तरीके से तलाक नहीं लिया था।
पत्नी ने पति को जेल जाने से बचाया
एक अन्य मामले में गुजारा भत्ता के 80 हजार रुपये बकाया पत्नी को नहीं देकर तरह-तरह के बहाने अदालत पर बताने वाले पति को एक महीने के लिए जेल भेजने की बात जज ने कही। जज ने कहा कि अब अदालत से कोई मोहलत नहीं मिलेगी।
मोहलत आपको आपकी पत्नी चाहे तभी मिल सकती है। अदालत ने पति को पत्नी से बात करने के लिए 15 मिनट का समय दिया। कुछ देर बाद पत्नी ने जज से कहा कि हुजूर 10 दिन का मौका दे दीजिए। गुजारा भत्ता की बकाया धनराशि जमा कर देंगे तो साथ जाने के बारे में भी सोचेंगे।