- लकड़ी ठेकेदार ने प्रतिबंधित हरे नीम के 9 पेड़ काटे, पुलिस ने मुकदमा किया किया
- वन विभाग की मिलीभगत से रोजाना किसी न किसी गांव में काटे जा रहे हरे पेंड
लखनऊ।बीकेटी वन विभाग रेंज में इटौंजा और बीकेटी में वनविभाग की सहमति से हो रही सरकारी पेड़ों की कटाई का खेल नया नहीं है। इसके पहले भी बन विभाग द्वारा नियमों को ताक पर रखकर बीकेटी फलपट्टी क्षेत्र के कई गाँवों आवासीय योजना विकसित करने के लिए हरे भरे आम के पेड़ों का परमिट जारी चुका है। इसमें वन विभाग से लेकर उद्यान विभाग के कर्मचारियों तक की जेबें मोटी हो रही हैं। अगर कटाई के आंकड़े देंखे तो बीकेटी रेंज तो वन माफिया के लिए स्वर्ग से कम नहीं हैं। रोजाना उजाड़े जा रहे हरे भरे आम के बाग और प्रतिबंधित हरे नीम के पेंड लेकिन दर्जनों बार पुलिस ने खेल पकड़ा है इसमें पुलिस को कई बार वन विभाग की मिलीभगत के सबूत मिले लेकिन हुआ कुछ नहीं।
बता देन कि अधिक धन कमाने के चक्कर में वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी इतना अंधे हो चुके हैं कि उनको अब पैसे के आगे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।वह क्षेत्र में हरियाली की सफाई करने में जुटे हुए है।जिसका जीता जागता उदाहरण स्वरूप शुक्रवार को इटौंजा थाना क्षेत्र के उदवतपुर गांव में देखने को मिला।जहां यहां के निवासी स्व. मोहनलाल पाल की बहू सुनीता पाल की जमीन में लगें नीम के 09 हरे पेड़ों को गुरुवार रात करीब दो बजे राकेश कुमार पासी पुत्र रामप्रसाद निवासी ग्राम बहरौरा थाना माल ने कटवा दिए। बता दें कि नीम के हरे पेड़ों की कटाई की सूचना एक अज्ञात ग्रामीण ने इटौंजा पुलिस को दें दी। इस सूचना पर उपनिरीक्षक जय प्रकाश सिंह, कांस्टेबल जाहिद ने शुक्रवार सुबह 5 बजे उदवतपुर गांव में हरे नीम लकड़ी के बोटें जप्त कर ट्रैक्टर ट्राली की मदद से इटौंजा थाना पर लाकर ठेकेदार के विरुद्ध वृक्ष संरक्षण अधिनियम मुकदमा दर्ज किया गया। वहीं इटौंजा थाना प्रभारी निरीक्षक सर्वेश कुमार शुक्ला ने बताया कि प्रतिबंधित हरे नीम के 09 पेड़ों को कटने पर वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत ठेकेदार पर मुकदमा दर्ज किया गया हैं।
अवैध कटान के लिए सुरक्षित क्षेत्र है बीकेटी
बीकेटी और इटौंजा क्षेत्र तो हरे पेड़ों के अवैध कटान का सुरक्षित क्षेत्र बना है।वन विभाग की मिलीभगत से नवीकोट नंदना पुराने फ़ौजी ढाबा के निकट आम के हरे पेड़ों की पूरी की पूरी बाग आवासीय योजनाएं विकसित करने के लिए ठेकेदारों ने काट डाला। बाग मालिक द्वारा वन विभाग से साठगांठ कर हरे पेड़ों की कटान की जा रही है। ठेकेदार से कटान के परमिट के बारे में जानकारी की जाती है तो कहते हैं कि सबका हिस्सा पहुंचा दिया गया है।