तुलसी विवाह 2023। इस एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। माना जाता है कि तुलासी विवाह करने से कन्या दान के बराबर फल प्राप्त होता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता तुलसी ने भगवान विष्णु को नाराज होकर श्राम दे दिया था कि तुम काला पत्थर बन जाओगे। इसी श्राप की मुक्ति के लिए भगवान ने शालीग्राम पत्थर के रूप में अवतार लिया शालीग्राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और तुलसी को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। माना जाता है कि मां तुलसी की पूजा करने से घर में सुख शांति बनी रहती है। तो चलिए जानते हैं तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी को भोग में क्या चढ़ाएं और कैसे करें पूजा।
तुलसी विवाह भोग रेसिपी
तुलसी विवाह के दिन प्रसाद में इस मौसम में आने वाले फल, गन्ना और मिठाई चढ़ाई जाती है. आप माता तुलसी को गन्ने से बनी खीर का भोग लगा सकते हैं। गन्ने को तुलसी विवाह में बेहद शुभ माना जाता है। गन्ने की खीर एक स्वादिष्ट रेसिपी है जिसे बहुत ही कम समय में आसानी से बनाया जा सकता है।
सामग्री।
गन्ने का रस
चावल या साबूदाना
इलायची
क्रश किए मुट्ठी भर सूखे मेवे, टुकड़ों में कटा हुआ
तुलसी विवाह विधि
गन्ने की खीर बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में गन्ने का रस उबाल लें।
फ्लेवर के लिए हरी इलायची डालें।
भीगे हुए चावल या साबूदाने डालें और धीमी आंच पर चलाएं।
जब चावल उबल जाएं और मनचाहा कंसिस्टेंसी मिल जाए तो इसमें सूखे मेवे डालें।
कुछ देर चलाते हुए पकाएं और गैस बंद कर दें।
तुलसी विवाह पूजन विधि
देव उठनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की आराधना करें। एक चौकी पर तुलसी का पौधा और दूसरी चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करें। इसके बाद बगल में एक जल भरा कलश रखें, और उसके ऊपर आम के पांच पत्ते रखें। तुलसी के गमले में गेरू लगाएं और घी का दीपक जलाएं। फिर तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें और रोली, चंदन का टीका लगाएं। तुलसी के गमले में ही गन्ने से मंडप बनाएं। अब तुलसी को लाल चुनरी सिर में डालें। गमले को साड़ी लपेट कर उनका दुल्हन की तरह श्रृंगार करें। इसके बाद शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात बार परिक्रमा की जाती है। इसके बाद आरती करें। तुलसी विवाह संपन्न होने के बाद सभी लोगों को प्रसाद बांटे।
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह का आयोजन करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम के साथ तुलसी का विवाह कराने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उस पर भगवान हरि की विशेष कृपा होती है। तुलसी विवाह को कन्यादान जितना पुण्य कार्य माना जाता है। कहा जाता है कि तुलसी विवाह संपन्न कराने वालों को वैवाहिक सुख प्राप्त होता है।