मनरेगा कर्मचारियों को वेतन न मिलने से आर्थिक तंगी से जुझ रहे , वेतन निधि का हो रहा अन्य मद में इस्तेमाल ।
2 माह से नही आयी मनरेगा मजदूरी ।
जारी पत्र 30 अक्टूबर के अनुसार आयुक्त ग्राम्य विकास ने कहा कि ,जनपदों द्वारा राज्य स्तर से दिए जा रहे निर्देशो का पालन नही किया जा रहा है ।
निष्पक्ष प्रतिदिन ब्यूरो
सीतापुर । मनरेगा योजना अंतर्गत जिला स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक कार्यरत कर्मचारियों को 8 माह से वेतन न मिलने से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में इन मनरेगा कर्मचारियों को परिवार चलना मुश्किल हो रहा है ।
बताते चलें, जहां एक तब विकसित भारत यात्रा के अंतर्गत ग्राम स्तर , ब्लॉक व जिला स्तर तक जारी आदेशानुसार जनप्रतिनिधियों द्वारा बैठकर सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की उपलब्धियां गिनायी जा रही हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा के अंतर्गत कार्यरत ग्राम पंचायत स्तर पर रोजगार सेवक ब्लॉक व जिला स्तर पर एपीओ, तकनीकी सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर, आदि विभिन्न पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को पिछले 8 माह से वेतन नहीं प्राप्त हुआ है, जिससे मनरेगा कर्मचारियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
परिवार चलाना भी मुश्किल साबित हो रहा है। जबकि जारी पत्र 30 अक्टूबर 2022 पत्रांक संख्या3752 /2023-24के अनुसार ग्राम्य आयुक्त ग्राम्य विकास उत्तर प्रदेश के द्वारा समस्त जनपद को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया था ,कि 10.नवंबर 2023 को समय 11:00 बजे प्रशासनिक मद में धनराशि ₹ 8.00 करोड़ जनपदों को उपलब्ध कराई जाएगी। धनराशि से केवल मनरेगा कार्मिको के ईपीएफ कटौती की धनराशि का आहरण होल्डिंग खाता में किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि कतिपय जनपदों द्वारा राज्य स्तर से दिए जा रहे निर्देशो का पालन नही किया जा रहा है।उच्च अधिकारियों / कर्मचारियों से अनुरोध किया गत कि उपलब्ध कराई जा रही धनराशि से कार्मिको के ईपीएफ कटौती की धनराशि के आहरण के इतर कोई अन्य भुगतानन किया जाए। राज्य स्तर से इसकी समीक्षा की जाएगी। जबकि जारी की ध्यान देकर जनपद सीतापुर में मनरेगा कर्मचारियों के वेतन भुगतान की बात की जाए तो कुछ सीमित एफटीओ ही हो पाए थे जोकि नाम मात्र कहे जा सकते है । बात अब सवाल या उठता है ।
मनरेगा कर्मचारियों के वेतन भुगतान के सम्बध में आयुक्त ग्राम्य विकास उत्तर प्रदेश के द्वारा पत्र जारी किये हुए 3 माह का समय बीत चुका है। और धनराशि भी भेजी गयी थी , तो कर्मचारियों को समय से वेतन क्यों नहीं दिया गया । सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में कार्य कर रहे इन कर्मचारियों का सहयोग कैसे आम जनमानस को प्राप्त होगा। जब आपने परिवार ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे है । 8 माह के मध्य शासन द्वारा मनरेगा कर्मचारियों का वेतन भेजा भी गया था ।जो क्यों अन्य निजी मदो में इस्तेमाल कर लिया गया । जिससे कर्मचारियों का बकाया वेतन भुगतान नही हो सका । और यह कर्मचारी पिछले 8 माह से वेतन न मिलने से आर्थिक तंगी से जुझ रहे थे।अब तो स्थिति यहाँ तक आ पहुची है, कि मनरेगा कर्मचारियों के साथ ही ग्राम पंचायत में दिहाड़ी मजदूरी कर रहे, मनरेगा मजदूरों को भी पिछले 2 माह से मजदूरी भुगतान नह मिला जिससे मनरेगा मजदूरों को भी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है ।
जिले के जिम्मेदारो द्वारा मनरेगा कच्चे पक्के के कार्य का 60% कच्चे व 40% पक्के के रेसीओ की पूरा करने के लिए कच्चे कार्यो को तो खोल दिया गया है । लेकिन कार्य कर रहे दिहाड़ी मजदूरों के भुगतान पर ध्यान नही दिया जा रहा है , जोकि जिले के जिम्मेदारों की कार्य शैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है । ऐसे में सवाल यह उठता है जब मनरेगा मजदूरों को दिहाड़ी मजदूरी नहीं मिल रही है। कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है , तो कैसे चलेगा इन कर्मचारियों व दिहाड़ी मजदूरी करने वालो का घर खर्च कैसे होगा इलाज, व कैसे सवेरेगा बच्चों का आने वाला कल इस संबंध में जब जिला श्रमायुक्त अधिकारी से बात की जाने की कोशिश की गई तो बजती गई घंटियां नहीं उठा सीयूजी नम्बर ।