निमोनिया एक गंभीर संक्रमण वाली बीमारी है जो फेफड़ों की सेहत को काफी ज्यादा प्रभावित करता है. जिन लोगों की इम्यून सिस्टम कमज़ोर होती है. फिर चाहे, वो बच्चे हो, बड़े हों या बुजुर्ग आसानी से इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. इसकी वजह खांसी, जुकाम, बुखार और छाती में बलगम जमने की स्थिति के कारण होता है. अब सवाल यह उठता है कि भारत से सटे चीन में अगर यह खतरनाक निमोनिया की बीमारी तेजी से फैल रही है तो क्या इसका असर भारत पर होगा? इस पर ‘ABP Live हिंदी’ ने डॉ.नीतू जैन से खास बातचीत की . जोकि पीएसआरआई अस्पताल में ‘वरिष्ठ सलाहकार पल्मोनोलॉजी क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन’ में है.
हमने जब उनसे पूछा कि क्या इसका असर भारत में दिखाई देगा तो उन्होंने बिल्कुल साफ तौर पर कहा कि यह कहना पूरी तरह से जल्दबाजी होगी क्योंकि फ्यूचर में क्या होने वाला है. इस पर क्या बोल सकते हैं. लेकिन हां एक बात कहना चाहुंगी कि निमोनिया भारत में हो या चीन या दुनिया के किसी भी कोने में हो तो निमोनिया के टाइप्स एक ही जैसे होंगे. अब निर्भर करता है जिन्हें हुआ है उनकी इम्युनिटी कैसी है? निमोनिया को ठीक किया जा सकता है अगर शुरुआती इलाज अच्छी तरह से किया जाए.
निमोनिया के कितने प्रकार हैं?
कम्यूनिटी-एक्वायर्ड निमोनिया- ऐसे निमोनिया तब होता है जब व्यक्ति हॉस्पिटल न गया हो
बैक्टीरिया- निमोनिया होने का कारण स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोने (Streptococcus pneumoniae) होता है. यह फ्लू के होने के बाद फेफड़ा को इंफेक्टेड करने वाला लोबर निमोनिया हो सकता है.
एटिपिकल निमोनिया- एटिपिकल न्यूमोनिया एक अलग प्रकार का निमोनिया होता है. यह हर उम्र के लोगों को हो सकता है. यह माइकोप्लाज्मा या क्लैमाइडिया जीवों के कारण होता है.
फंगल निमोनिया- यह कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को होता है.
COVID-19 जैसे वायरस- ठंड और फ्लू के कारण होने वाला निमोनिया. यह पांच साल से कम उम्र के बच्चों में देखा जाता है.
नोसोकोमियल निमोनिया- यह अस्पतालों के अंदर होता है. इसमें हॉस्प्टिल एक्वायर निमोनिया (HAP)और वेंटीलेटर एक्वायर निमोनिया (VAP) शामिल हैं.
एस्पिरेशन निमोनिया- यह उल्टी, बलगम, इसमें फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है.
डॉक्टर नीतू जैन बताती है कि प्रदूषण से लेकर वातावरण में मौजूद कई तरह की बैक्टीरिया निमोनिया के कारण होते हैं. इससे छुटकारा पाना है तो दवाओं के साथ साथ कुछ घरेलू नुस्खे और सावधानी भी इस बीमारी को कम करने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं. फेफड़ों का काम है ऑक्सीजन को इनहेल करके कार्बनडाइऑक्साइड को बाहर निकालना है. अगर आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो समझ जाएं कि आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. अलग-अलग व्यक्ति पर इसके अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं. जैसे बुखार, तेज खांसी, सीने में दर्द आदि.
प्रोफेसर डॉक्टर राहुल पंडित जो कि ‘एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल’ (एचएन आरएफएच) में कार्यरत हैं. उन्होंने साफ किया कि यह कहना पूरी तरह से जल्दबाजी होगी कि नॉर्थ चीन में निमोनिया का प्रकोप बढ़ रहा है और इसका असर भारत में भी फैल सकता है. हालांकि हमने निमोनिया कई तरह के वेरिएंट में फैलते हुए देखा है. हमें याद रखना होगा कि अभी नॉर्थ एरिया में सर्दी की शुरुआत हो चुकी है. हमने दुनिया भर में सर्दियों के दौरान मामलों की संख्या में हमेशा वृद्धि देखी है. जब सर्दियों के मामलों की बात आती है, तो हमें यह पता लगाना होगा कि इसका कारण क्या है? क्या वास्तव में संख्या में वृद्धि के पीछे कोई वास्तविक कारण है या नहीं. सर्दियों के दौरान केवल फ्लू के मामलों या निमोनिया के मामलों की रिपोर्टिंग करना बहुत आम है.
वास्तव में यह भी कहना जल्दबाजी होगा कि यह रहस्यमय निमोनिया है या नहीं. इसे देखने से पहले हमें अधिक जानकारी की आवश्यकता है और मुझे नहीं लगता कि इसका कोई वस्तुनिष्ठ साक्ष्य है. इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस विषय पर घबराहट या डर लगना चाहिए.
लोगों को यह समझने की जरूरत है कि अलग-अलग स्थानों पर संक्रामक रोगों का होना बहुत आम बात है. स्वाइन फ्लू या इन्फ्लूएंजा या आरएस के मामले ईमानदारी से दुनिया भर में छोटे समुदायों में बहुत आम तौर पर देखे जाते हैं. इसलिए रहस्य में जाने के बजाय, हमें इसके बारे में घबराने से पहले वैज्ञानिक रूप से बहुत स्पष्ट होने की आवश्यकता है.
क्या है चीन का रहस्यमय निमोनिया
चीन में तेजी से फैल रही निमोनिया सबसे ज्यादा बच्चों को अपना शिकार बना रही है. अभी इसके कारण का पता नहीं चल पाया है. जिस तरह तेजी से यह पूरे देश में फैल रही है बच्चों के हॉस्पिटल में भीड़ बढ़ती जा रही है. जो स्वास्थ्य सेवा के लिए एक चुनौती बन गई है. चीन में स्वास्थ्य अधिकारी सतर्क हैं क्योंकि देश में बच्चों में निमोनिया का बड़ा प्रकोप देखा जा रहा है जिसका कोई ज्ञात कारण नहीं है. रिपोर्टों में दावा किया गया है कि रहस्यमय निमोनिया देश भर के बाल चिकित्सा अस्पतालों पर भारी पड़ रहा है, खासकर बीजिंग, लियाओनिंग में स्कूल और कक्षाएं भी निलंबित होने की कगार पर हैं. न केवल सभी छात्र बीमार हैं बल्कि शिक्षक भी निमोनिया से संक्रमित हैं.
WHO हरकत में आया
हरकत में आते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बीजिंग से एक रहस्यमयी बीमारी के फैलने पर विस्तृत जानकारी मांगी है. डब्ल्यूएचओ ने “बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारियों और निमोनिया के समूहों में वृद्धि पर विस्तृत जानकारी के लिए एक आधिकारिक अनुरोध किया. डब्ल्यूएचओ ने चीनी निवासियों को टीकाकरण लेने. बीमार लोगों से दूरी बनाए रखने. बीमार होने पर घर के अंदर रहने. मास्क पहनने और नियमित रूप से हाथ धोने से सांस की बीमारी के खतरे को कम करने की सलाह दी है.
रहस्यमय निमोनिया: लक्षण
बच्चों में मुख्य रूप से तेज़ बुखार सहित लक्षण दिखाई दे रहे हैं. कुछ बच्चों में फुफ्फुसीय नोड्यूल विकसित हो रहे हैं. अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि संक्रमण घातक है.
बीजिंग चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल में बीजिंग के एक नागरिक ने बताया बहुत से लोग अस्पताल में भर्ती हैं. उन्हें खांसी नहीं होती और उनमें कोई लक्षण नहीं होते. उन्हें बस उच्च तापमान (बुखार) होता है और कई लोगों के फेफड़ों में गांठें विकसित हो जाती हैं.
अब आपको स्कूल में रिपोर्ट करने की अनुमति नहीं है। यदि आपको बुखार, सर्दी, खांसी जैसे कोई लक्षण हैं और फिर आप अस्पताल में भर्ती हैं, तो आप छुट्टी मांग सकते हैं…”
डालियान सेंट्रल हॉस्पिटल के एक स्टाफ सदस्य के अनुसार, “मरीजों को 2 घंटे तक लाइन में इंतजार करना पड़ता है, और हम सभी आपातकालीन विभाग में हैं और कोई सामान्य आउट पेशेंट क्लिनिक नहीं है.
रहस्यमय निमोनिया: फैलने का संभावित कारण
कुछ पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि इसका प्रकोप माइकोप्लाज्मा निमोनिया के कारण हो सकता है, जिसे आमतौर पर “वॉकिंग निमोनिया” के रूप में जाना जाता है. “यह संभव है कि चीन में श्वसन संक्रमण में वृद्धि देखी जा सकती है जैसा कि अन्य देशों ने लॉकडाउन के बाद अपनी पहली सर्दियों में देखा था.
इस ‘वॉकिंग निमोनिया’ के नाम से भी जाना जाता है: वॉकिंग निमोनिया को हल्के निमोनिया के लिए जाना जाता है. जिसमें पीटी बिस्तर या अस्पताल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि गतिशील है और ओपीडी से इलाज किया जाता है.