थायराइड के मरीजों के लिए होम्योपैथी रामबाण: डॉ अविनाश

बाराबंकी: थायराइड के मरीजों को अब जिंदगी भर दवा खाने की जरूरत नहीं है। इसके इलाज में होम्योपैथी की दवा काफी कारगर साबित हुई है। होम्योपैथी के क्षेत्र में किया गया यह अध्ययन उन लोगों को भी दवा से छुटकारा दिला देगा जो बचपन से थायराइड से पीड़ित थे। होम्योपैथी क्षेत्र में बड़े से बडे़

असाध्य रोगों का इलाज कर पूरी तरह से बीमारी को जड़ से खत्म करने वाले जाने माने डॉक्टर डॉ अविनाश श्रीवास्तव का कहना है कि थायराइड के इलाज में होम्योपैथिक दवा रामबाण साबित हो रही है यह बीमारी को जड़ से खत्म कर देती है। होम्योपैथ ऐसी पद्धति है जो प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर आधारित है। एलोपैथिक दवाइयां से थायराइड पर कंट्रोल तो पाया जा सकता है लेकिन उसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। एलोपैथिक दवा हारमोंस के जरिए शरीर में आकर उसे सक्रिय करती है। जबकि होम्योपैथिक दवा के माध्यम से प्राकृतिक रूप से शरीर में हारमोंस प्रोड्यूस करने लगेंगे।डॉ अविनाश ने ने बताया कि होम्योपैथिक की एक अच्छी बात है कि यह सबसे पहले मरीज से पूरी कंप्लीट हिस्ट्री लेती है । ऐसे इलाज नहीं किया जाता कि मरीज आया, लक्षण बताए और हमने दवाई शुरू कर दी । बल्कि होम्योपैथी में सबसे पहले यह पूछा जाता है कि उसे किस दिन से दिक्कत हुई, कब से हुई और क्या करने के बाद हुई, जब मरीज बताता है तो उसकी पूरी कंप्लीट हिस्ट्री लेकर जहां से बीमारी की उत्पत्ति हुई है वहीं पर प्रहार किया जाता है।

डॉ अविनाश ने बताया होम्योपैथ में असाध्य रोगों का इलाज कम खर्चे में हो जाता है और बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है। शर्त यह है कि चिकित्सक को मरीज की पर्सनल हिस्ट्री , पास्ट हिस्ट्री व फेमिली हिस्ट्री व बीमारी की जड़ तक जाना पड़ता ह मरीज के स्वभाव बीमारी व हिस्ट्री को कम्पाइल कर उसी स्वभाव की दवा दे मरीज को पूरी तरह से ठीक किया जाता है। डॉ अविनाश का कहना है उन्हों उन्होंने बाराबंकी ही नहीं आसपास के जनपदों से आने वाले बड़ी संख्या में मरीजों को होम्योपैथी दवा के माध्यम से पूरी तरह से ठीक कर दिया अब उन्हें थायराइड के लिए किसी प्रकार की एलोपैथदवा लेने की जरूरत नहीं पड़ रही।

केस- 1
45 वर्षीय शहर को पिछले 5 साल से थायराइड की समस्या थी । ऑटोइम्यून की वजह से उनका मेटाबॉलिज्म बिगड़ गया था जिसकी वजह से उनका वजन 70 से 80 किलो के बीच में हो गया था। वह एलोपैथ की दवाइयां ले रही थी होम्योपैथी दवा शुरू करने के बाद 4 से 5 महीने में वह पूरी तरह से क्योर हो गई।

केस- दो
आवास विकास कॉलोनी में रहने वाली सौम्या उम्र 24 वर्ष अंडाशय में सिस्ट हो गया था हारमोंस के संतुलन लंबे समय तक बिगड़ जाने की वजह से इन कठिनाइयों का उन्हें पिछले 5 साल से सामना करना पड़ रहा था। होम्योपैथी की 6 माह की दवा से उनका सिस्ट पूरी तरह से ठीक हो गया।

कैसे-3
नवीगंज की रहने वाली फिरदौस उम्र 33 वर्ष बच्चेदानी में गांठ होने के कारण काफी परेशान थी। एलोपैथिक दवाइयां की करनी शुरू की फायदा नहीं मिला तो डॉक्टर ने सर्जरी की सलाह दी। इन्होंने सोचा एक बार होम्योपैथी का सहारा लिया जाए। डॉ अविनाश श्रीवास्तव की होम्योपैथिक दवा से लगभग 6 महीना में फिरदौस की बीमारी जड़ से खत्म हो गई।

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