- छुट्टा पशुओं से किसान परेशान,रात भर कर रहे खेतों की रखवाली
लखनऊ। भैया अब का बोआ जाई, चना, मटर,आलू व सब्जी केरि फसल तौ सब बेसहारा मवेशी व नीलगाय खाय जात हवय। गेहूं के भी एतना बर्बाद कर दे रहे हैं,कि पैदावार होबु तौ अब बड़ा मुश्किल देखाय रहा हवय। यह दर्द साल रहा है,बीकेटी तहसील क्षेत्र के कठवारा,बीकामऊ,हरदौरपुर,शिवपुरी,पर्वतपुर,शिवखड़,राजापुर,चांदपुर, खानीपुर,चंदनापुर सहित कई दर्जन गाँवों के किसानों को। कारण है कि तैयारी की ओर बढ़ रही गेहूं सहित दलहनी अरहर व चना,मटर,सरसों,आलू की फ़सल के इस दौर में नीलगाय व बेसहारा के नाम पर टहल रहे मवेशी किसानों के दुश्मन बन चुके हैं।बीकेटी क्षेत्र में 21 गोशाला बनने के बाद भी छुट्टा मवेशियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। किसानों के लिए मवेशी सिर दर्द बने हुए हैं। किसान पशुओं के आतंक के कारण खुद ही फसलों की रखवाली कर रहे हैं। वहीं तहसील प्रशासन भी मवेशियों की समस्या से निजात दिलाने के लिए किसानों के हित में कोई सार्थक कदम नहीं उठा रहा है। ये जानवर रातों-रात किसानों के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई से बोई गई फसलों को बर्बाद कर दे रहे हैं। बड़े क्षेत्रफल पर नुकसान होने से किसान विकट आर्थिक संकट में घिर गया है।
एक तरफ बेसहारा मवेशी जहां किसानों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ नीलगायों का झुंड खेतों में खड़ी फसल को तबाह कर रहा है।अब तो स्थिति यह हो गई है,कि बेसहारा पशु की आड़ में तमाम लोग अपने दुधारू पशुओं को भी दूध निकालने के बाद बछड़ों संग उनको खुला छोड़ देते हैं। शायद ही ऐसा कोई गांव हो जहां चार से पांच अवारा बछड़े न टहलते दिखाई पड़े। समस्या की असली वजह तो यह है, कि आवारा किस्म के ये पशु जिन खेतों में अड्डा जमाते हैं, वहां से फसल की तबाही के बाद ही हटते हैं।उधर नीलगायों का आतंक भी इस कदर कायम है, कि किसान पूरे दिन रखवाली के बाद भी फसल नहीं बचा पा रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि एक से दूसरे खेत में दौड़ते रहने से फसल को अधिक नुकसान पहुंच रहा है। किसानों ने नीलगायों व आवारा पशुओं से निजात दिलाने की मांग की है।
किसानों का एक ही सवाल था कि छुट्टा पशु लगातार उनकी फसलें बर्बाद कर रहे थे। लेकिन एसडीएम कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जबकि गाँवों में छुट्टा घूम रहे पशुओं को पकड़वाने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी पहले ही एसडीएम को सौंप चुके हैं।
किसानों को होती है समस्या
किसान झरोखे कनौजिया ने कहा की सरकार ने जो भी व्यवस्थाएं छुट्टा मवेशियों के लिए कि वह धरातल पर नहीं उतर रही हैं। हम सब को रात भर फसलों की रखवाली करनी पड़ती है। कई बार इसकी शिकायत भी की गयी है। लेकिन समस्या से निजात आज तक नहीं मिल सकी। जानवर फसल बर्बाद कर रहे हैं। गेहूं, मटर, मटर, सरसों व आलू सहित हर फसल बर्बाद हो रही है।
तारबंदी भी बेअसर
छुट्टा पशुओं को लेकर किसान गंगाराम कहते हैं,कि समस्या यह है कि रात दिन लोग रखवाली करते हैं। खेतों के किनारे 5-5 तार लगाए गए है।फिर भी गायें खेत चर रही हैं। रात में 12 से एक बजे तक रखवाली करनी होती है। सुबह में फिर आना पड़ता है। लोग खेतों में लाठी लेकर घूमते रहते हैं। इधर-उधर हुए नहीं कि छुट्टा पशु खेत चर जाते हैं। किसान बहुत परेशान हैं, जिनका खाना-पीना सबकुछ दुश्वार हो गया है।रात में चाहे जितनी भी ठंड पड़े, किसानों को आग जलाकर अलाव के सहारे फसलों की रखवाली करनी पड़ती है।
प्रशासन से दर्ख्वास्त
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि सर्दी में जानवर अधिक आते हैं।बीकेटी में सब छुट्टा गायें,सांड व बछ्ड़े हैं, जो आलू,चना,मटर,सरसों व गेंहू की फ़सलों को चर रहे हैं। किसानों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि इन छुट्टा पशुओं को बंधवाया जाए या फिर उन्हें गौशालाओं में भेजा जाए। ऐसा नहीं हुआ तो किसानों के बच्चे अन्न के बिना भूखे मर जाएंगे। एक और किसान उदयभानु सिंह प्रशासन से नाराज दिखते हैं। उनका कहना है कि प्रशासन इस काम में कोई मदद नहीं कर रहा है। किसानों की एक भी बात नहीं सुनी जा रही है। रात में लोग लाठी-डंडा लेकर घूमते हैं, लेकिन छुट्टा पशु दाएं बाएं से घुस जाती हैं और फसल चर जाती हैं।