भगवान चित्रगुप्त जी के पूजन-दिवस की सभी श्रद्धालुओं एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं!

ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः

भगवान ब्रह्मा जी के दिव्यांश, लेखनी के आराध्य, भगवान चित्रगुप्त जी के पूजन-दिवस की सभी श्रद्धालुओं एवं प्रदेश वासियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं!

भगवान चित्रगुप्त जी की कृपा से सभी के जीवन में ज्ञान, सुख, समृद्धि का संचार हो।

हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है। इस दिन कायस्थ समाज चित्रगुप्त जी के साथ कलम, दवात और बहीखाता की भी पूजा करते हैं। इस बार चित्रगुप्त पूजा आज यानी 15 नवंबर को की जाएगी। हर साल भाई दूज के दिन ही भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने की परंपरा है। तो चलिए जानते हैं कि आज चित्रगुप्त पूजा शुभ मुहूर्त और मंत्र के बारे में।

भईया दूज या चित्रगुप्त पूजा के दिन किताब-कलम की पूजा क्यों करनी चाहिए?
आज के दिन कलम की पूजा जरूर करनी चाहिए। कलम की पंचोपचार विधि से पूजा करके श्रीचित्रगुप्त का स्मरण करें और उनसे हाथ जोड़कर उस कलम को आशीर्वाद रूप में प्राप्त करने की प्रार्थना करें। इस प्रकार पूजी गई कलम अमोघ यानि प्रभावी हो जाती है । धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, उस कलम से लिखा गया सही हो जाता है। पूजा की गई कलम से लिखने पर दैवीय सहायता प्राप्त होती है।

इसके अलावा आपने जो किताब दीपावली की रात बंद की थी, उसे कलम की पूजा करके फिर से खोलिए और उसपर स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करके या श्रीगणेशाय नम: लिखकर सिद्धि बुद्धि सहित श्री गणेश को प्रणाम कीजिए और उसके बाद उस कलम को प्रयोग में ले लेना चाहिए। अगर आप चाहें तो एक से ज्यादा कलम की पूजा भी कर सकते हैं और उनका उपयोग आप आने वाले पूरे वर्ष भर कीजिए। मालूम हो कि दीपावली के दिन बही खाते बदले जाते हैं और आज उन नए बही खातों पर काम शुरू किया जाता है।

चित्रगुप्त पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान चित्रगुप्त ब्रह्म देव की काया यानि शरीर से उत्पन्न हुए थे, इसलिए उनको कायस्थ कहा जाता है। इसी कारण ब्रहा देव ने उनको जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने की जिम्मेदारी दी है। चित्रगुप्त पूजा करने से बुद्धि, विद्या और लेखन में महारत हासिल होती है। वहीं बता दें दिवाली से चित्रगुप्त पूजा तक कायस्थ समाज के लोग लेखा-जोखा का कार्य नहीं करते हैं।

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