सिविल मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशा-निर्देश….

देश में लंबित मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मामलों का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए। जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ द्वारा उच्च न्यायालयों को त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने और मामलों के निपटान की निगरानी के लिए जारी किए गए 12 निर्देश इस प्रकार हैं:

  1. जिला और तालुका स्तर पर सभी अदालतें सीपीसी के आदेश V नियम (2) के तहत निर्धारित समयबद्ध तरीके से समन का उचित निष्पादन सुनिश्चित करेंगी। प्रधान जिला न्यायाधीशों द्वारा इसकी निगरानी की जाएगी और आंकड़ों को एकत्रित करने के बाद वे इसे आगे बढ़ाएंगे। विचार एवं निगरानी हेतु उच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति के समक्ष रखा जायेगा।
  2. जिला और तालुका स्तर पर सभी अदालतें यह सुनिश्चित करेंगी कि लिखित बयान आदेश VIII नियम 1 के तहत निर्धारित सीमा के भीतर और अधिमानतः 30 दिनों के भीतर दाखिल किया जाए और लिखित रूप में कारण बताएं कि समय सीमा को 30 दिनों से अधिक क्यों बढ़ाया जा रहा है। सीपीसी के आदेश VIII के उप-नियम (1) के प्रावधान के तहत दर्शाया गया है।
  3. जिलों और तालुकाओं की सभी अदालतें यह सुनिश्चित करेंगी कि दलीलें पूरी होने के बाद पक्षकारों को आदेश सीपीसी की धारा 89 की उप-धारा (1) में निर्दिष्ट अदालत के बाहर निपटान का कोई भी तरीका और पक्षकारों के विकल्प पर ऐसे मंच या प्राधिकरण के समक्ष उपस्थिति की तारीख तय की जाएगी और पक्षकारों द्वारा इनमें से किसी एक को चुनने की स्थिति में निपटान के तरीके तय तिथि, समय और स्थान पर उपस्थित होने के लिए निर्देश जारी किए जाएंगे और पक्षकारों को ऐसे प्राधिकारी/फोरम के समक्ष बिना किसी अतिरिक्त सूचना के ऐसे निर्दिष्ट स्थान और समय पर उपस्थित होना होगा। साथ ही संदर्भ आदेश में यह भी स्पष्ट किया जाएगा कि परीक्षण को दो महीने से अधिक की अवधि के लिए निर्धारित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि एडीआर के फलदायी नहीं होने की स्थिति में ट्रायल अगले निर्धारित दिन पर शुरू होगा और दिन-प्रतिदिन के आधार पर आगे बढ़ेगा।

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