नई दिल्ली। भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसियां जी20 सम्मेलन को साइबर हमलों से सुरक्षित करने में पूरी तरह सफल रहीं। हालत यह है कि सम्मेलन के दौरान जी20 की वेबसाइट पर प्रति मिनट 16 लाख साइबर हमले हो रहे थे। लेकिन सर्ट-इन, सी-डैक और इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आई4सी) जैसी एजेंसियों ने इन हमलों को नाकाम कर दिया और जी20 शिखर सम्मेलन सफलता पूर्वक संपन्न हो सका।
एजेंसियां अब इन हमलों के स्त्रोत का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। आई4सी के सीईओ राजेश कुमार के अनुसार जी20 की वेबसाइट के लॉन्च होते ही इस पर साइबर हमले शुरू हो गए थे और इसे सुरक्षित रखना भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती थी।
वेबसाइट को सुरक्षित रखने के लिए सामूहिक प्रयास हुआ
उन्होंने कहा कि इस वेबसाइट को साइबर हमलों से सुरक्षित रखने के लिए सभी एजेंसियों ने सामूहिक प्रयास किया। यह पहला ऐसा मामला है जब देश में किसी वेबसाइट पर एक साथ इतने बड़े पैमाने पर हमला हुआ हो। वैसे उन्होंने साइबर हमलों के स्त्रोत के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया।
साइबर हमलों के मूल स्त्रोत का पता लगाना आसान नहीं
उनके अनुसार साइबर हमलों के मूल स्त्रोत का पता लगाना आसान नहीं होता है। अपराधी अपनी पहचान छुपाने के लिए कई लेयर का इस्तेमाल करते हैं। उनके अनुसार साइबर हमलों के लिए इस्तेमाल भले ही भारत में किसी सर्वर से किया दिख रहा हो, लेकिन हो सकता है कि उसे रिमोट किसी अन्य देश से चलाया जा रहा हो।