सरकारी खजाने से ‘करोड़ों रुपये का घोटाला’ करने वाला डायरेक्टर हुआ ‘रिटायर्ड’ ठंडे बस्ते मेंजांच

  • सेवानिवृत्त वित्त एवं लेखाधिकारी जमाल अहसन उस्मानी द्वारा उद्यान मंत्री दिनेश सिंह के हाथों में दस्तावेज सौंपे जाने के बाद भी अब तक नहीं हुई कोई कर्रवाई

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का खौफ सिर्फ ‘माफियाओं’ और ‘अपराधियों’ पर देखने को मिलता है लेकिन तथाकथित ‘ब्यूरोके्रेटस’ और ‘डायरेक्टर’ स्तर के अधिकारी ‘डंके की चोट पर भ्रष्टाचार की गाथा’ लिख रहे हैं। इन्हें मालूम है कि उन पर कार्रवाई तब होगी जब सरकार के मंत्री ‘हठ’ पर आ जायें लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। उद्यान विभाग के डायरेक्टर डॉ. आरके तोमर रिटायर हो गये हैं।लेकिन इस कुर्सी पर बैठकर उन्होंने ‘प्रधानमंत्री’ के नाम की चल रही सभी योजनाओं सहित ‘ट्रांसफर पॉलिसी’ की धज्जियां उड़ाते हुए साबित कर दिया कि रिटायर से पहले करोड़ों रुपये बटोर लो,बाद में सरकार कुछ नहीं कर पायेगी…। यही हुआ भी, जाते-जाते श्री तोमर ने इस विभाग को गर्त में ढकेल दिया और सभी ‘क्रीम’ जगहों पर मुंहमांगी रकम लेकर अपने चहेते अधिकारियों को बिठा दिया।उद्यान विभाग से कुछ माह पूर्व सेवानिवृत्त हुए वित्त एवं लेखाधिकारी जमाल अहसन उस्मानी ने विभाग में हुए करोड़ों रुपयों के इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कराकर सरकारी धन की रिकवरी कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।


सवाल यह है कि निष्पक्ष प्रतिदिन ने पूर्व डायरेक्टर आरके तोमर द्वारा किये गये तमाम भ्रष्टाचार के प्रकरण को उजागर किया। यहां तक कि सेवानिवृत्त वित्त एवं लेखाधिकारी जमाल अहसन उस्मानी ने उद्यान मंत्री दिनेश सिंह के हाथों में दस्तावेज सौंपा। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बल्कि और बेखौफ होकर पूर्व डायरेक्टर तोमर ने भ्रष्टाचार की ‘बल्लेबाजी’ की और करोड़ों रुपये बटोर कर चलते बने। इससे जाहिर होता है कि श्री तोमर ने उद्यान मंत्री को भी अपने ‘सांचे’ में ढाल लिया था। यदि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पूर्व डायरेक्टर द्वारा ‘सरकारी खजाने से की गयी लूट’ की कहानी ‘ब्यूरोक्रेटस’ पहुंचाते हैं, तो इन पर सख्त कार्रवाई के साथ-साथ सरकारी खजाने की बाट लगाने वाली सारी रकम की वसूली हो सकती है,नहीं तो…।
बता दें कि वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में ‘एकीकृत बागबानी विकास मिशन’ और ‘राष्ट्रीय कृषि विकास योजना’ में ‘शंकर शाक भाजी’ एवं ‘मसाला बीज क्रय’ में ‘कैश डीबीटी’ के स्थान पर ‘काइंड, इनपुट्स डीबीटी’ की व्यवस्था भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के विपरीत लागू की गयी। शासन के निर्देशों के विपरीत बिना निविदा कराये संस्थाओं एवं दरों का चयन किया गया। कुल आवश्यकता का 90 प्रतिशत कार्य नैफेड संस्था की कृषि बेस्ट कंपनी को दिया गया, जबकि शासन द्वारा सभी 4 चयनित संस्थाओं को समान अवसर प्रदान करने के निर्देश दिये गये थे। इस प्रकार मनमाने ढंग से काइंड डीबीटी लागू करने, एक ही संस्था से अधिकांश अधोमानक बीज सामाग्री क्रय कर शासन को लगभग रुपया 60 करोड़ रुपये का घोटाला कर नुकसान पहुंचा गया। शासन एवं राज्य सरकार को निष्पक्ष प्रतिदिन में घोटाले की खबरें प्रकाशित होने के बावजूद संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं की गयी। इसी तरह डॉ. आरके तोमर उद्यान निदेशक द्वारा ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ में 93 ‘कम्प्यूटर ऑपरेटर’ संविदा कर्मी की भर्ती प्रक्रिया में किये गये घोटाले, जिसमे इंटरव्यू कमेटी ने 104 ऑफ लाइन प्राप्त आवेदन के सापेक्ष जिन 32 अभ्यर्थी को फेल किया था, निदेशक डा.आरके तोमर द्वारा उनकी नियुक्ति कर दी गयी तथा जिन 22 अभ्यर्थी को पास किया था। उनमें से केवल 14 अभ्यर्थी को नियुक्त किया गया था। वहीं, 47 अभियार्थियों को बिना इंटरव्यू के मोटी रकम लेकर नियुक्त कर दिया गया। इसकी शिकायत भी शासन और सरकार से की गयी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी। निदेशक डा. आरके तोमर द्वारा स्थानांतरण नीति के विरुद्ध कुछ अधिकारियो को जिन जनपदों से स्थानांतरण किया था। उन्हीं जनपदों का अतिरिक्त प्रभार उनको सौंप दिया था। धर्मेंद्र चन्द्र वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक जिसे 1 जुलाई 2023 को उद्यान निरीक्षक के पद से पदोन्नति किया गया था, उन्हें जनपद बस्ती का जिला उद्यान अधिकारी का प्रभार सौंपा गया, जबकि यह कर्मचारी पिछले 23 वर्षो से बस्ती जनपद में कार्यरत हैं। इसके अलावा जनपद कौशाम्बी, प्रयागराज, सोनभद्र, हमीरपुर, औरैया, गोंडा, मुजफ्फरनगर एवं बहराइच का अतिरिक्त प्रभार बिना शासन की अनुमति से निदेशक उद्यान निदेशक के द्वारा दिया गया है। साथ ही रिटायरमेंट से एक दिन पूर्व दिनांक 30 अगस्त 2023 को कतिपय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बिना शासन की अनुमति से स्थानांतरण कर दूसरे जनपदों में सम्बद्ध कर दिया।अब सवाल यहां यह उठता है कि क्या पूर्व उद्यान निदेशक डा.आरके तोमर द्वारा विभाग में एकीकृत बागबानी विकास मिशन’ और ‘राष्ट्रीय कृषि विकास योजना’ में ‘शंकर शाक भाजी’ एवं ‘मसाला बीज क्रय’ में ‘कैश डीबीटी’ के स्थान पर ‘काइंड, इनपुट्स डीबीटी’ की व्यवस्था में किये गये करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच होगी?क्या इस सरकारी धनराशि की पूर्व निदेशक से रिकवरी की जाएगी?फिलहाल यह सवाल अभी तक सिर्फ एक पहेली ही बना हुआ है।

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