‘आगे बढ़ो जोर से बोलो, रामजन्मभूमि का ताला खोलो’ नारे ने जगाई राम की अलखः पुरुषोत्तम नारायण सिंह

अयोध्या । विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री रहे पुरुषोत्तम नारायण सिंह श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के दौरान संगठन के प्रमुख राणनीतिकारों में से एक रहे। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े अनेक कार्यक्रमों के सफल संचालन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। अपने जीवन के 90 बसंत पार कर चुके पुरुषोत्तम नारायण को श्रीराम मंदिर का ताला खुलवाने की रणनीति बनाने वालों में से एक माना जाता है। उनका मानना है कि ‘आगे बढ़ो जोर से बोलो, रामजन्मभूमि का ताला खोलो’ नारे ने समाज में राम की अलख जगाई। आगामी 22 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बीच पुरुषोत्तम नारायण सिंह से हिन्दुस्थान समाचार के वरिष्ठ संवाददाता डॉ. आमोदकांत मिश्र ने मंदिर आंदोलन के संदर्भ में बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश-

सवाल: श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की पृष्ठभूमि कैसे तैयार हुई?

जवाब: आठ अक्टूबर 1984 को पहली बार श्रीराम मंदिर का ताला खुलवाने के उद्देश्य से सरयू तट स्थित राम की पैड़ी पर ”संकल्प कार्यक्रम” हुआ। हम कह सकते हैं कि यहीं से श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति से जुड़े आंदोलनों की नींव पड़ने लगी। कालांतर में ताला खुला। कारसेवा हुई। फिर मंदिर निर्माण का आंदोलन भी। अब मंदिर निर्माण पूरा होते देख रहा हूं।

अयोध्या । विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय मंत्री रहे पुरुषोत्तम नारायण सिंह श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के दौरान संगठन के प्रमुख राणनीतिकारों में से एक रहे। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े अनेक कार्यक्रमों के सफल संचालन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। अपने जीवन के 90 बसंत पार कर चुके पुरुषोत्तम नारायण को श्रीराम मंदिर का ताला खुलवाने की रणनीति बनाने वालों में से एक माना जाता है। उनका मानना है कि ‘आगे बढ़ो जोर से बोलो, रामजन्मभूमि का ताला खोलो’ नारे ने समाज में राम की अलख जगाई। आगामी 22 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बीच पुरुषोत्तम नारायण सिंह से हिन्दुस्थान समाचार के वरिष्ठ संवाददाता डॉ. आमोदकांत मिश्र ने मंदिर आंदोलन के संदर्भ में बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश-

सवाल: श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की पृष्ठभूमि कैसे तैयार हुई?

जवाब: आठ अक्टूबर 1984 को पहली बार श्रीराम मंदिर का ताला खुलवाने के उद्देश्य से सरयू तट स्थित राम की पैड़ी पर ”संकल्प कार्यक्रम” हुआ। हम कह सकते हैं कि यहीं से श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति से जुड़े आंदोलनों की नींव पड़ने लगी। कालांतर में ताला खुला। कारसेवा हुई। फिर मंदिर निर्माण का आंदोलन भी। अब मंदिर निर्माण पूरा होते देख रहा हूं।

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