बरेली| बरेली कॉलेज का आईडी-पासवर्ड लीक होने का मामला सामने आया है। इसके जरिये प्रवेश शुल्क जमा करने के नाम पर फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। बीएससी का छात्र साथियों से प्रवेश फॉर्म जमा करने के लिए निर्धारित शुल्क ले लेता था, लेकिन कॉलेज में जमा नहीं करता था। यही नहीं कॉलेज की लॉगिन-आईडी का इस्तेमाल कर कैफे से विश्वविद्यालय को फॉर्म अग्रसारित भी कर देता था। शुल्क जमा होने की फर्जी रसीद भी वह छात्रों को देता था। घपले में कॉलेज के लोगों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है।
मामले का खुलासा सोमवार को शुल्क की फर्जी रसीद में लगा क्यूआर कोड स्कैन न होने की दो छात्रों की शिकायत पर हुआ। चीफ प्रॉक्टर प्रो.आलोक खरे के अनुसार प्राचार्य कार्यालय पहुंचे दोनों छात्रों ने बताया कि उन्होंने बीएससी तीसरे सेमेस्टर के छात्र नितिन को स्नातक का प्रवेश फॉर्म जमा करने के लिए निर्धारित 525 रुपये शुल्क दिया था। इसके बाद नितिन ने उनका फॉर्म जमा करवाकर रसीद दी थी। इस पर प्राचार्य ने विश्वविद्यालय से जानकारी की तो पता चला कि फॉर्म वहां पहुंच चुका है, जबकि कॉलेज में इसे जमा ही नहीं किया गया था।
पीड़ित छात्र आरोपी नितिन को बिना बताए अपने साथ प्राचार्य कार्यालय तक लाए थे और वह बाहर खड़ा था। मामला खुलने पर नितिन को पकड़ लिया गया। नितिन ने बताया कि उसने विश्वविद्यालय के बाहर स्थित एक कैफे के संचालक से फॉर्म भरवाया है। रसीद भी वहां से मिली है। नितिन को प्रति फॉर्म कमीशन दिया जाता था। अब तक उसने 10 फॉर्म भरवाए हैं। चीफ प्रॉक्टर प्रो.आलोक खरे की शिकायत पर कॉलेज से छात्र को पुलिस ले गई। नितिन और कैफे संचालक एक छात्र संगठन के सक्रिय सदस्य भी बताए जा रहे हैं।
बड़ा सवाल… कैसे लीक हुआ डाटा
स्नातक और परास्नातक में प्रवेश के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने के बाद कॉलेज में उस फॉर्म का प्रिंट व निर्धारित शुल्क जमा किया जाता है। इसके बाद कॉलेज इसे अपनी लॉगिन आईडी से वेरिफाई करके विश्वविद्यालय को फॉरवर्ड करता है। कॉलेज की लॉगिन आईडी का ही घपले में इस्तेमाल किया गया।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि लॉगिन आईडी व पासवर्ड किसी बाहरी को कैसे मिला? माना जा रहा है, कॉलेज का स्टाफ भी इसमें शामिल है। जालसाजों ने फार्मों को विश्वविद्यालय फारवर्ड करके फीस अपने पास रख ली। आरोपी छात्र के पकड़े जाने के बाद प्राचार्य प्रो. ओपी राय ने विश्वविद्यालय को जानकारी दी। गंभीर प्रकरण होने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कॉलेज का आईडी पासवर्ड बदल दिया है।
जालसाजों का अड्डा बने कैफे
बरेली कॉलेज के आसपास बड़ी संख्या में साइबर कैफे खुले हैं। यहां सुबह से शाम तक विद्यार्थियों की भीड़ रहती है। यहीं जालसाज व शरारती तत्व जमा रहते हैं और विद्यार्थियों से प्रवेश के लिए परेशान न होने की बात कहकर रकम ऐंठ लेते हैं। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि नगर निगम को कई बार बाहर अतिक्रमण हटाने के लिए पत्र लिखा गया है, लेकिन सुनवाई नहीं होती।
बरेली कॉलेज के प्रोफेसर ओपी राय ने बताया कि फर्जी रसीद देने वाला नितिन कॉलेज में बीएससी तीसरे सेमेस्टर का छात्र है। उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया है। कॉलेज का पासवर्ड आईडी करीब पांच वर्ष से नहीं बदला गया था। अब इसे प्रतिदिन बदला जाएगा। साथ ही विश्वविद्यालय से भी सिर्फ कॉलेज से फॉरवर्ड किए फॉर्म पर ही प्रवेश देने के लिए पत्र लिखा गया है।