कथा के प्रताप से ही राजा परीक्षित को सातवें दिन मिला था मोक्ष: आलोक

गड़वार (बलिया)। भागवत कथा सुनने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। कथा के प्रताप से ही राजा परीक्षित को सातवें दिन मोक्ष मिला था। भागवत कथा भक्त और भगवान की कथा है। भक्ति मार्ग और उससे मिलने वाले पुण्य फल मनुष्य को धर्म, आस्था और आध्यात्मिका से जोड़ते हैं। ये बातें गुरुवार को गड़वार क्षेत्र के झंगही गांव में आयोजित भागवत कथा सप्ताह के सातवें व अंतिम दिन कथा व्यास भागवत भाष्कर पं आलोक जी महाराज ने कही। इस दौरान उन्होंने परीक्षित मोक्ष की कथा सुनार्ई। इसके साथ ही कथा से मिलने वाले पुण्य फल के विषय में अपनी बात रखी। कथा के दौरान श्रीकृष्ण भक्त एवं बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन किया गया। उन्होंने श्रीकृष्ण एवं सुदामा के मित्रता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे।

श्रद्धालुओं द्वारा किए जा रहे धार्मिक उद्घोष से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया था। उन्होंने श्रोताओं से कहा कि नियमित सात दिन तक कथा सुनने से जन्म-जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है। वहीं नन्हें-नन्हें बालकों द्वारा कृष्ण- सुदामा चरित का भावपूर्ण मंचन देखकर आंखें नम हो गई। इसी के साथ सात दिवसीय कथा का विराम हो गया। भागवत भाष्कर आलोक जी महाराज, यज्ञाचार्य पं० शुभम शास्त्री व पं०अतुल ने अंत में सभी को आशीर्वाद दिया, और व्यास पीठ से विदाई ली। कथा आयोजक एवं यजमान विजय शंकर तिवारी ने कथा व्यास और सभी श्रोताओं का आभार प्रकट किया। कथा की पूर्णाहुति एवं भव्य भण्डारे का आयोजन शुक्रवार को किया जाएगा। इस मौके पर कृपाशंकर तिवारी,जितेन्द्र तिवारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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