चार वर्ष बाद पीड़ित को मिला न्याय

चिकित्सक पर लगा 20 लाख का जुर्माना

बलिया। चार वर्ष बाद एक मामले में राज्य उपभोक्ता विवाद परितोष आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार की अदालत ने आरोपी फिजियोथेरेपिस्ट को न सिर्फ दोषी माना, बल्कि उस पर 20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा वादी को मुकदमा का खर्च के रूप में पीड़ित बच्चे के पिता को 50 हजार रुपये देने का आदेश दिया है। जिसमें कहा है कि यदि दो माह के अंदर वादी को भुगतान नहीं किया जाता तो 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी देना होगा। यह घटना 29 सितंबर 2018 की है।

बता दे कि सिकंदरपुर थाना क्षेत्र के जमुई गांव निवासी दिलीप यादव का चार वर्षीय पुत्र सिद्धांत यादव का एक हाथ खेलते समय गिरने के कारण चोटिल हो गया था। परिजन उसे सिकंदरपुर स्थित दुर्गावती सेवा सदन एवं फिजियोथेरिपी सेंटर पर ले गए। डॉ. जितेन्द्र यादव ने एक्स-रे जांच के बाद 1460 रुपये लेकर हाथ का प्लास्टर कर दिया। दो दिन बच्चे का दर्द ठीक नहीं हुआ और फफोले निकलने लगे। परिजनों ने इसकी शिकायत डॉक्टर से की तो उसने उंगली चलाते रहने का सुझाव दिया। राहत न मिलने पर पिता बलिया स्थित डॉ. जितेंद्र सिंह के पास पहुंचे। उन्होंने फफोले ठीक होने के बाद आपरेशन की सलाह दी। दो दिन बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन बेहतर इलाज के लिए सिद्धांत को बीएचयू लेते गए, तब तक बालक का हाथ पूरी तरह सड़ चुका था।

इंफेक्शन बालक के शरीर में न फैले इसके लिए डॉक्टर ने हाथ काटने की सलाह दी। परिजनों ने इलाज शुरू करवाया। पीड़ित पिता ने पुलिस को दुर्गावती सेवा सदन एवं फिजियोथेरिपी सेंटर, डॉक्टर और एक्स-रे संचालक के खिलाफ इलाज में लापरवाही की तहरीर दी। बावजूद कोई कार्रवाई न होने पर पीड़ित तत्कालीन डीएम भवानी सिंह खँगारौत व तत्कालीन एसपी श्रीपर्णा गांगुली से मिले। डीएम भवानी सिंह खंगरौत के निर्देश पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ और अब पीड़ित को अदालत से न्याय मिला है।

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