जहरीले धुएं से फ़लपट्टी में फल-सब्जी हो रहे बीमार !

-फ़लपट्टी में संचालित अवैध फैक्ट्रियों एवं ईंट भट्ठों को बन्द कराने की जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा शिकायतों के बाद भी अब तक नहीं की गई कोई पहल

  • नही हो पा रहा सुनियोजित विकास,लगातार बिगड़ रहा है फलपट्टी का नक्शा

अजय सिंह चौहान

निष्पक्ष प्रतिदिन, लखनऊ।ईंट भट्ठों और फैक्ट्रियों का प्रदूषण बीकेटी फ़लपट्टी क्षेत्र में हजारों बागों व सैकड़ों हेक्टेयर सब्जी उत्पादकों के लिए खतरा बन रहा है। इस कारण धीरे-धीरे आम, अमरूद, आंवला आदि के बाग उजड़ते जा रहे हैं। हालत इतनी खराब है, कि प्रदूषण के कारण फलपट्टी क्षेत्र पूरी तरह तबाह हो गया है। सब्जियों की खेती पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। इससे क्षेत्र में आम, अमरूद,तरबूज, खरबूजा व गन्ने की मिठास भी कम हो रही है।

         प्रदूषण की बात जाय तो बीकेटी जिले में पहले नंबर पर खड़ा दिखाई देता है।यहां शहर के साथ ही देहात क्षेत्र भी प्रदूषण की मार से त्रस्त है। फैक्ट्रियों से निकले जहरीले पानी और धुएं से लोगों में कई गंभीर रोग पनप रहे हैं।वहीं यह प्रदूषण फल और सब्जियों को भी बीमार कर रहा है।फ़लपट्टी क्षेत्र के दर्जनभर से अधिक गाँवों में लगे ईंट भट्ठों के जहरीले धुएं का बागों और फसलों पर बुरा असर पड़ रहा है। हालत इतने खराब है कि जिले से फलपट्टी क्षेत्र पूरी तरह से गायब हो गया है, जबकि पहले आम, अमरूद और आंवले के बाग खूब थे। कृषि विशेषज्ञ डॉ. सत्येन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि फैक्ट्रियों और ईंट भट्ठों के जहरीले धुएं से वातावरण गर्मा रहा है। जिससे सब्जियों की फसल अपनी रंगत खो रही है। लगातार बढ़ रहा तापमान भी बुरा असर डाल रहा है। प्रदूषण के चलते फलों के बाग फलपट्टी से खत्म होते जा रहे हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश फलदार वृक्षों का संवर्धन और संरक्षण (हानिप्रद अधिष्ठान और आवास योजना विनियमन) अध्यादेश 1985 के जरिए फलपट्टी क्षेत्र बनाकर बागों का संरक्षण किया जाता है।

उन्होंने यह भी बताया कि बीकेटी में यह एक्ट पूरी तरह फेल हो चुका है। जहरीली हवा के कारण पेड़ अपनी फल क्षमता खो रहे हैं, और विभिन्न बीमारियों के चपेट में आकर वे सूखने लगते हैं।जिससे किसानों को मजबूरी में उन्हें कटवाना पड़ता है। बीकेटी में करीब दो दर्जन ईंट भट्ठे बागों व सब्जी उत्पादकों के लिए काल साबित हो रहे हैं। जबकि जहरीला धुआं उगलने वाली करीब एक दर्जन फैक्ट्रियां चल रही है।उन्होंने यह भी बताया कि क्षेत्र में पिछले दो दशको से  मीठे फल जिसमें अमरूद, आम,आलू, खरबूजा, तरबूज की खेती का रकबा निरंतर घटता चला जा रहा है।खेती करने वाली एवं बागों की जमीनों पर नियम के विरुद्ध फैक्ट्रियों का निर्माण हुआ, तथा ईट भट्ठो की संख्या बढ़ती गई।शहर नजदीक होने के कारण एक समय सब्जी की खेती क्षेत्र में बहुत अच्छी होती थी।किसान की आमदनी सब्जी से अधिक होती थी। सरकार द्वारा क्षेत्र को फलपट्टी क्षेत्र घोषित किया गया था।उस समय फैक्ट्री एवं ईट भट्ठे बहुत कम थे।इन फैक्ट्रियों में प्रयुक्त होने वाली ज्वलन सामग्री का मानक सही नहीं है।क्षेत्र में यह भी देखने को मिल रहा है, कि यहां प्लाई फैक्ट्रियां एवं ईंट भट्ठे फसलों के सरसों के भूसे, गन्ने की खोही, लकड़ी के बुरादे से बने कोयले तथा लकड़ी प्रयोग ईट पकाने में करते हैं। जिसकी वजह से कार्बन की मात्रा बढ़ती चली जा रही है, और इसका क्षेत्र में फल एवं सब्जियों के ऊपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।पहले क्षेत्र के किसान सब्जियों एवं फलों की खेती बहुतायत से कर रहे थे,लेकिन आज यहां पर टमाटर, खरबूजा, ककड़ी, खीरा,आलू,तरोई, लौकी,कद्दू तथा फलों में केला,पपीता, अमरूद, आम के बाग बिल्कुल खत्म होते नजर आ रहे हैं। क्षेत्र में फलों का राजा आम की देसी प्रजातियां इन फैक्ट्रियों तथा ईट भट्ठो से निकले जहरीले धुये से समाप्त हो गयी है। डॉ सिंह ने यह भी बताया कि फैक्ट्रियों तथा ईट भट्ठो में प्रयुक्त होने वाली ज्वलनशील सामग्री मानकानुसार ना होने के कारण सब्जियो‌ तथा फलों की वृद्धि एवं विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जिसकी वजह से पौधों की वृद्धि रुक गई तथा प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो गई। जिससे इस धुएं के कारण कीट एवं बीमारियां भी बढ़ने लगी। जिस कारण आज  खरबूजा की मशहूर प्रजाति शरबती यहां से बिल्कुल खत्म हो गयी,  बख्शी का तालाब क्षेत्र की खरबूजे की लोकल प्रजातियां पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध थी।लेकिन वायु प्रदूषण के चलते बीकेटी क्षेत्र की धरती से इनका सफाया हो गया। डॉ सिंह ने यह भी बताया कि परंपरागत फलों की प्रजातियां अब बिल्कुल क्षेत्र में देखने को नहीं मिलती हैं।

जिम्मेदारो की बेपरवाही से उड़ रही नियम और कानूनों की धज्जियां

फलपट्टी क्षेत्र के दर्जनों गावों में साल दर साल हरे-भरे पेड़ो को काटकर मैदान तैयार कर वहां पर प्लॉटिंग का व्यापार किया जा रहा है। अवैध व्यापार में अंधे हो चुके लोगों के द्वारा अपने मुनाफे के लिए खेत, सड़क किनारे लगे पेड़-पौधे उजाड़ दिए जा रहे। जिम्मेदार अधिकरियों की बेपरवाही से पेड़ों को काटकर फल पट्टी क्षेत्र में वृक्षों के संरक्षण के लिए बने नियम और कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

कई वर्षों से फलपट्टी क्षेत्र में नहीं बढ़ रहा क्षेत्रफल

उद्यान विभाग के अधिकारी जिला औद्यानिक  मिशन के माध्यम से प्रतिवर्ष फलपट्टी क्षेत्र में बागों का क्षेत्रफल बढ़ाने में लगे है।मगर यहां आवासीय योजनाओं के संचालन के चलते बागों का क्षेत्रफल बढ़ने की बजाय लगातार कम होता जा रहा है।जबकि सरकार फलपट्टी क्षेत्र में जिला औद्यानिक मिशन के तहत फलदार वृक्षों को बढ़ावा देने के लिए प्रति वर्ष लाखों रुपये पानी की तरह बहा रही है।

फलपट्टी के मानक

फलपट्टी क्षेत्र में व उसके आसपास कोई ईंट भट्ठा,फ़ैक्ट्री, कारखाना,हानिकारक अधिष्ठान जिससे धुआं निकलता हो,नहीं लग सकता है।

जिम्मेदार नहीं उठाते है फोन

फलपट्टी क्षेत्र में जहरीला धुआं उगल रहे हानिकारक अधिष्ठानों के बारे में जानकारी लेने के बाबत जब जिला उद्यान अधिकारी बैजनाथ सिंह को उनके  सीयूजी  मोबाइल नंबर 9454612709  पर फोन किया गया तो उनका फोन नहीं उठा।

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