रतसर (बलिया)। क्षेत्र में छठ पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। परिवार में सुख शांति और संपन्नता के लिए महिलाओं ने रविवार को निर्जला व्रत रखा। शाम को स्नान के बाद श्रृंगार कर पारंपरिक गीत ‘ कांच ही बांस के बहगियां,बहंगी लचकत जाए’ गाती हुई तालाब, सरोवर के तटों पर प्रस्थान किया। इसके बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। व्रती महिलाएं तीन-चार बजे से अपने- अपने घरों से टोली बनाकर घाट के लिए निकली।
इस दौरान पारंपरिक गीत ‘ हथवा में फुलवा डलिया छठ पूजन जाय’ । ‘ उग हे सुरुज देव भीन भिनसरवा,अरघ के बेरवा,पूजन के बेरवा हो’। ‘सुगना के मरबो तीर धनुहिया’। छठी माई के घटवा पे आज बाजन … गुनगुनाते हुए घाटों पर पहुंची। शाम होते होते घाटों पर श्रद्धालुओं का जमघट लग गया। आलम यह रहा कि घाटों पर पैर रखने की जगह नहीं रही। इस दौरान व्रती महिलाओं ने पोखरा,तालाबों एवं सरोवरों के तट पर पहुंच भगवान भास्कर का पूजन-अर्चन किया। कुछ व्रती महिलाओं ने तालाब,सरोवर आदि में खड़े होकर पूजन किया। इसके बाद अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर व्रती दंडवत कर घाट पर पहुंचे।
सेल्फी लेने की लगी रही होड़
चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व पर रविवार को कस्बा से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर पहुंची युवतियों और महिलाओं ने पूजा के बाद विभिन्न तरीके से सेल्फी लिया। इसके अलावा घाटों पर ग्रुप में फोटो भी खिचवाया।
घाटों पर समितियों ने की प्रकाश की व्यवस्था
बलिया। कस्बा सहित ग्रामीण क्षेत्र के तालाब,पोखरा एवं सरोवरों के घाटों पर विभिन्न समितियों द्वारा सजावट और प्रकाश आदि की समुचित व्यवस्था की गई थी।