बड़े ही धूमधाम से आयोजित पहला कवयित्री सम्मेलन, गूंजती रही तालियां

पीलीभीत।पूरनपुर में टॉप फाउंडेशन के तत्वाधान में नगर में आयोजित जनपद का पहला कवयित्री सम्मेलन पूरी तरह सफल रहा।तय समय में कवियत्रियों ने सधा हुआ संतुलित काव्य पाठ करके श्रोताओं के दिल में जगह बनाई। सभी श्रोता वाह-वाह करते नजर आए।यहां पहुंचे जनपद के प्रमुख कवियों संजय पांडे गौहर,पंडित राम अवतार शर्मा,अविनाश चंद्र मिश्र, उमेश अदभुत, अमिताभ मिश्र, देवशर्मा विचित्र, डाक्टर यूआर मीत, राजेश राठौर, विकास आर्य ने कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की। जिला पंचायत अध्यक्ष डॉक्टर दलजीत कौर की कविता पर भी खूब तालियां बजीं। विधायक बाबूराम पासवान भी कवयित्रियों का हौसला बढ़ाने पहुंचे। उनकी धर्मपत्नी राम बेटी पासवान, ब्रह्माकुमारी रीमा बहन और जिले की प्रथम नागरिक डॉ दलजीत कौर ने सभी कवित्रियों को सम्मानित किया। इस अनूठे कार्यक्रम का आयोजन टॉप फाउंडेशन द्वारा मिशन शक्ति के तहत किया गया था। मधुबन होटल की छत पर सजी कविता की मोहक महफिल में कार्यक्रम का शुभारंभ
आयोजक गिरिजा शर्मा की वाणी वंदना से हुआ। उन्होंने पढ़ा

आदि नहीं अंत नहीं, पार नहीं सीमा नहीं,
ऐसे पारावर में समाई आदि शक्ति हो।

संयोजक व संचालक की संयुक्त भूमिका निभा रहीं डाक्टर नीराजना शर्मा ने फरमाया

मैं कर्म का विश्वास हूं आशा नही बस जीत की।
मैं भ्रामरी का गीत हूं लिप्सा नही मनमीत की।

सुगंध अग्रवाल की रचना

मैं बेटी हूं तुम्हारी मां, सदा पूजा करूं तेरी
वतन के वास्ते जीती हूं, इस पर जां फिदा मेरी।
जो द्रोही देश का बनकर नजर इस पर बुरी डालें,
मैं लक्ष्मी बाई बन गरजू बचाने आबरु तेरी।
सुनाकर तालियां बटोरीं।

सुषमा आर्या ने पढ़ा

हर मुश्किल पर मुश्किल मर्ज हो रही है,
ज़िन्दगी थोड़ी थोड़ी रोज ख़र्च हो रही है।

लखनऊ से आई स्वाति मिश्रा ने फरमाया

बेटियों बिन वंश कब आगे को बढ़ता है।
बेटियां ही सृष्टि का आधार होती हैं।।

इनवर्टिस विवि की प्रोफेसर डाक्टर निष्ठा श्रीवास्तव ने पढ़ा

एकांक है हर युवा, जिम्मेदार कौन है,
हर एकांकता का यह सूत्रधार कौन है।

डाक्टर नीता अग्रवाल की रचना

मन हृदय में रमा राम का नाम है।
राम का नाम भव मुक्ति का धाम है।
काफी सराही गई।

कार्यक्रम अध्यक्ष
संगीता सिंघल ने पढ़ा

फरिश्तों ने किया लेकिन ये अंदाज गुलामी है।
सन सैतालिस से बही हवाएं बेजुबानी है।
वतन के नाम पे बेचा चमन सोने की चिड़िया सा
ये तेरी है ना मेरी है कहानी हिंदुस्तानी है

सुंदर स्वर की मलिका गीता राठौर ने गाया

गीत गाती गुनगुनाती
सप्त स्वरों सी जिंदगी,
कभी तार सप्तक पे जाती
कभी मंद्र पर ज़िंदगी।

संजीता सिंह ने बोल

साहस हो संस्कार ना छूटें, भारतीयता की पहचान न छूटे।
सबको रंगना अपने रंग में, पर भगवा रंग का मान ना टूटे।
बिंदास रहे।

नवांकुर रमा वर्मा ने कुछ इस अंदाज में सभी का स्वागत किया।

स्वागत है अतिथियों का, श्रोताओं का स्वागत है।
मिला जो साथ कवयित्रियों का, उनका भी स्वागत है। शायरा सुलतान जहां और सरोज सरगम ने भी मनमोहक काव्य पाठ किया। अतिथियों के सम्मान व ब्रम्हकुमारी रीमा बहन के संदेश से कार्यक्रम पूर्ण हुआ। आभार ज्ञापन टॉप फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष सतीश मिश्र अचूक ने किया। वरिष्ठ कवि संजय पांडे गौहर की तरफ से मंचीय मातृ शक्तियों को तंदुल और संयोजक डाक्टर नीराजना शर्मा जी ने नव वर्ष की डायरी व पेन भेट किए। काफी संख्या में महिला पुरुष श्रोता मौजूद रहे और सभी ने मुक्त कंठ से इस अनूठे आयोजन की प्रशंसा की।

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